मध्यप्रदेश

मप्र आॅक्सीजन की किल्लत हुई कम, रोजाना 545 टन की जगह 650 टन हो रही सप्लाई

  • राजधानी को रोज चाहिए 100 टन आॅक्सीजन, 110 टन मिलने लगी

भोपाल। मध्यप्रदेश (Madhya pradesh)  में मची आॅक्सीजन की किल्लत (Oxygen shortage) अब धीरे-धीरे कम होने लगी है। राज्य में सभी अस्पतालों (Hospitals) को अब आॅक्सीजन की आपूर्ति (Oxygen supply) धीरे-धीरे पूरी होने लगी है। प्रदेश में रोजाना 545 टन आॅक्सीजन की डिमांड हैै, जबकि 650 टन रोजाना सप्लाई होने लगी है। इसी तरह भोपाल को रोज 105 टन आॅक्सीजन चाहिए, जबकि 110 टन मिल रही है। 13 टन आॅक्सीजन प्रोसिसिंग प्लांट भारती एयर प्रोडक्ट (Bharti Air Product) और भेल (BHEL) से अलग मिल रही है। इन दोनों प्लांट से आसपास के जिलों में सप्लाई की जा रही है। 10 दिन पहले तक शहर के 96 अस्पतालों को हर दिन 25 टन आॅक्सीजन मिल रही थी, अब 50 टन मिलने लगी है।

9 बड़े अस्पतालों को तो अब 55 टन से ज्यादा मिल रही है। कलेक्टर अविनाश लवानिया (Collector Avinash Lavania) ने बताया कि शहर में आॅक्सीजन की शार्टेज के बीच मैनेजमेंट टीम बनाई है। हर आॅक्सीजन प्लांट (Oxygen plant) पर दो ब्लॉक अफसरों की ड्यूटी लगाई गई। शुरूआत में महज 20 टन आॅक्सीजन शहर को मिल रही थी, जबकि जरूरत ज्यादा की थी। सरकार की मदद से 80 टन आॅक्सीजन की सप्लाई भिलाई (Bhilai) , अहमदाबाद (Ahamadabad) , रांची (Ranchi), राउरकेला (Rourkela) आदि शहरों से शुरू हुई। भोपाल में झारखंड के बोकारो(Bokaro)  से ट्रेन और गुजरात के जामनगर (Jamnagar), अहमदाबाद (Ahamadabad) और छत्तीसगढ़ के भिलाई से सड़क मार्ग से आॅक्सीजन टैंकर आ रहे हैं। खाली टैंकरों के यहां से एयर फोर्स के एयरक्राफ्ट सी-17 (Aircraft C-17) से जामनगर एयरलिफ्ट किया जा रहा है। अब तक 35 टैंकर एयर लिफ्ट किए जा चुके हैं।

सख्ती : जब्त सिलेंडर छोटे अस्पतालों को दिए
भोपाल के 30 से ज्यादा अस्पतालों को इंडस्ट्री से जब्त किए किए 750 आॅक्सीजन सिलेंडर उपलब्ध कराए गए। इससे छोटे अस्पतालों के पास खाली सिलेंडर नहीं होने से अचानक से दिक्कत खड़ी हो गई थी। अब यह दिक्कत दूर हो गई है।

इंदौर : हर दिन औसत 123 टन आॅक्सीजन मिल रही
इंदौर के अस्पतालों में आईसीयू बेड (ICU Bed) की मारामारी जहां कुछ कम हुई है, वहीं आॅक्सीजन की सप्लाय भी पिछले 8 से 10 दिनों में 20 से 25 टन तक बढ़ गई है। अभी यहां प्रतिदिन औसत 123 टन की आॅक्सीजन सप्लाई हो रही है। हालांकि अभी पूरी तरह से स्थिति नियंत्रण में करने के लिए 130 टन आॅक्सीजन की आवश्यकता है। इससे पहले 25 अप्रैल तक शहर में 90 से 100 टन तक आॅक्सीजन आ रही थी, वहीं डिमांड 110 टन की थी।

अस्पतालों में लगे लिक्विड आॅक्सीजन स्टोरेज टैंक भरे
पिछले एक महीने में भोपाल के तमाम कोविड अस्पतालों (Covid Hospitals) की स्थिति बहुत खराब थी। आॅक्सीजन की कमी से वे नए मरीज नहीं ले रहे थे। आलम ये था कि किसी के पास एक तो किसी के पास चार घंटे का बैकअप आॅक्सीजन के लिए रहता था। अब ये बढ़कर 8 से 10 घंटे हो गया है। शहर के तमाम बड़े अस्पतालों में लगे लिक्विड आॅक्सीजन स्टोरेज टैंक (Liquid Oxygen Storage Tank) भरे हुए हैं। जेके सहित कुछ अस्पतालों ने भी अपना नया टैंक लगवा लिया है।

अब दूसरे जिलों में आॅक्सीजन सप्लाय
भोपाल का सबसे बड़ा प्रोसिसिंग प्लांट भारतीय एयर प्रोडक्ट जो पहले सिर्फ भोपाल को आॅक्सीजन सिलेंडर की सप्लाई कर रहा था। अब सीहोर, विदिशा, रायसेन, राजगढ़ और शाजापुर को आॅक्सीजन दे रहा है।

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