28 अप्रैल से वैशाख महीने की शुरुआत, करें ये काम प्रसन्न होंगे ब्रह्मा, विष्णु और महेश
Vaishakh 2021:28 अप्रैल 2021 बुधवार से वैशाख मास आरंभ हो रहा है। मुख्य रूप से इस महीने में भगवान विष्णु, परशुराम और देवी की उपासना की जाती। वैशाख हिंदू नववर्ष का द्वितीय महीना माना जाता है और विशाखा नक्षत्र(Visakha nakshatra) से संबंध होने के कारण इसको वैशाख कहा जाता है। साल में केवल एक बार श्री बांके बिहारी जी के चरण दर्शन भी इसी महीने में होते हैं। इस महीने में गंगा या सरोवर स्नान का विशेष महत्व है,लेकिन कोरोना संक्रमण के कारण इस बार ये संभव नही हो सकेगा,लेकिन उसके बाद भी आप घर पर रह कर भी कर सकते है पूजा अर्चना । आमतौर पर वैशाख का महीना अप्रैल मई (April,May) में शुरू होता है। इस महीने में धन प्राप्ति(Receiving money) और पुण्य प्राप्ति(Gain merit) के तमाम अवसर आते हैं। आमतौर पर इसी समय से लोक जीवन में मंगल कार्य(Mars work) शुरू होते हैं। इस बार वैशाख का महीना 28 अप्रैल से 26 मई तक रहेगा। वैशाख मास क्या महत्व है? आइए जानते हैं।
वैशाख मास के प्रमुख पर्व और व्रत
अक्षय तृतीया, गंगा सप्तमी, वरुथिनी एकादशी और परशुराम जयंती, शंकराचार्य जयंती, गंगा सप्तमी पूजन, वैशाख पूर्णिमा और नरसिम्हा जयंती जैसे महत्वपूर्ण पर्व और व्रत वैशाख के महीने में ही पड़ रहे हैं।
वैशाख मास 26 मई 2021 को समाप्त होगा
पंचांग के अनुसार वैशाख का महीना 28 अप्रैल 2021 से प्रारंभ होगा और 26 मई 2021 को समाप्त होगा। तेलुगु, कन्नड़, मराठी और गुजराती पंचांग के अनुसार वैशाख मास 12 मई 2021 से आंरभ होकर 10 जून 2021 को समाप्त होगा।
त्रिदेव की पूजा से मिलता है पुण्य
वैशाख मास में भगवान ब्रह्मा, विष्णु और मेहश की पूजा का विशेष पुण्य बताया गया है। इन तीनों देवताओं को प्रसन्न करने के लिए वैशाख का मास सबसे उत्तम माना गया है। ऐसा माना जाता है कि वैशाख मास में ब्रह्मा जी, भगवान विष्णु और भगवान शिव पूजा से बहुत जल्द प्रसन्न होते हैं। मान्यता है कि वैशाख मास में सिर्फ जल देने मात्र से ही त्रिदेव प्रसन्न हो जाते हैं।
वैशाख मास के नियम
वैशाख के महीनों में कुछ नियमों का पालन करना चाहिए. ये नियम क्या हैं, आइए जानते हैं
सुबह जल्दी उठना चाहिए.
सूर्योदय से पूर्व स्नान करना चाहिए.
भगवान विष्णु, ब्रह्मा जी और भगवान शिव को जल चढ़ाना चाहिए.
दान आदि के कार्य करने चाहिए. पक्षियों के लिए जल की व्यवस्था करें.
प्याऊ की स्थापना कराएं.
घर के बाहर जल से भरे पात्र रखें.
छाता आदि का दान करना चाहिए.