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14 फीसदी लोगों को दे रहा कोरोना वाइरस का साइड इफैक्ट, शोध में आया सामने

लंदन। कोरोना महामारी (Corona epidemic) का असर भयानक और डरावना है, इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि ठीक होने वाले कोविड मरीजों में 14 फीसदी मरीजों को अन्य गंभीर तरह की बीमारियां दे जाता है। यह दावा ब्रिटिश मेडिकल जर्नल ( British Medical Journal) में प्रकाशित एक शोध में दावा किया गया है कि कोविड.19 संक्रमण जाते जाते भी कई स्वास्थ्य समस्याएं पीछे छोड़ जाता है। शोध के मुताबिक कोरोना से संक्रमित 14 फीसदी मरीजों के शरीर को कोरोना इस कदर प्रभावित करता है कि उन्‍हें फिर से अस्‍पताल का रुख करना पड़ता है।
लंदन ( London) स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ रिसर्च के शोधकतार्ओं ने पिछले साल 1 जनवरी से 31 अक्तूबर के बीच कोरोना से संक्रमित होने वाले 1,93,113 मरीजों की सेहत का अध्‍ययन किया। इस शोध में 18 से 65 साल के उम्र वाले मरीजों को रखा गया था। इस शोध में इन मरीजों के कोरोना संक्रमित होने के 21 दिन तक उनके शरीर में हो रहे बदलाव पर नजर रखी। शोधकतार्ओं ने नेशनल क्लेम्स डाटा का विश्लेषण कर इस बात का पता लगाया कि वायरस को मात देने के छह महीने के भीतर इन मरीजों ने किन नई बीमारियों का सामना किया है।
शोध से मिले आंकड़ों की तुलना ऐसे मरीजों से की कई जो कोरोना से कभी संक्रमित नहीं हुए। शोधकतार्ओं ने पाया कि कोरोना की चपेट में आने वाले 14 फीसदी मरीजों में कम से कम एक नई स्वास्थ्य समस्या देखी गई। इन स्‍वास्‍थ्‍य समस्‍याओं के कारण कोरोना मरीजों को अस्‍पताल का रुख भी करना पड़ा। स्वस्थ लोगों के मुकाबले कोविड.19 पर जीत हासिल करने वाले रोगियों के किसी नई बीमारी के कारण अस्पतालों में भर्ती होने की दर भी पांच फीसदी ज्यादा पाई गई है।
मुख्य शोधकर्ता डॉक्टर इलेन मैक्सवेल (Doctor elaine maxwell) ने बताया कि युवाओं में कोरोना से ठीक होने के बाद भी नई बीमारी का खतरा ज्‍यादा देखा गया है। उन्‍होंने कहा कि बुजुर्गों और बीमार मरीजों की तुलना में नई बीमारी से युवा ज्‍यादा प्रभावित दिख रहे हैं। इनमें वो मरीज भी शामिल हैं, जिन्‍हें पहले कभी भी सेहत संबंधी कोई परेशानी नहीं हुई थी।

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