मोरबी सस्पेंशन ब्रिज हादसे में 1262 पेज की चार्जशीट दायर, ओरेवा ग्रुप के मालिक का नाम भी शामिल
गुजरात के मोरबी में 30 अक्टूबर 2022 को सस्पेंशन ब्रिज हादसा हुआ था। जिसे लेकर शुक्रवार को 1,262 पन्नों की चार्जशीट दायर की गई है।
ताजा खबर : गुजरात के मोरबी में 30 अक्टूबर 2022 को सस्पेंशन ब्रिज हादसा हुआ था। जिसे लेकर शुक्रवार को 1,262 पन्नों की चार्जशीट दायर की गई है। जिसमें ओरेवा ग्रुप के मालिक जयसुख पटेल को आरोपी बनाया गया है। गौरतलब है कि इससे पहले 24 जनवरी को गुजरात की एक अदालत ने मोरबी में पुल गिरने के मामले में ओरेवा समूह के जयसुख पटेल की गिरफ्तारी का वारंट जारी किया था। अजंता मैन्युफैक्चरिंग लिमिटेड (ओरेवा ग्रुप) ने मोरबी में मच्छू नदी पर ब्रिटिश काल के पुल के नवीनीकरण, मरम्मत और संचालन का ठेका हासिल किया था। रविवार को मोरबी के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट एमजे खान ने दंड प्रक्रिया संहिता (CRPC) की धारा 70 के तहत पटेल के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया।
Morbi bridge collapse: 1,262-page chargesheet filed, Oreva group’s Jaysukh Patel included as accused
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— ANI Digital (@ani_digital) January 27, 2023
अग्रिम जमानत के लिए पटेल ने खटखटाया था कोर्ट का दरवाजा
बता दें कि ओरेवा ग्रुप के मालिक जयसुख पटेल ने मामले में अग्रिम जमानत के लिए 20 जनवरी को मोरबी सत्र अदालत का रुख किया था। मामले में सुनवाई 1 फरवरी तक के लिए स्थगित कर दी गई थी क्योंकि सरकारी वकील उपस्थित नहीं थे। मामले में पुलिस द्वारा दर्ज की गई प्राथमिकी में पटेल का नाम आरोपी के रूप में नहीं है।
मामले में अब तक अजंता मैन्युफैक्चरिंग (ओरेवा ग्रुप) के चार कर्मचारियों सहित नौ लोगों को गिरफ्तार किया गया है। इनमें ओरेवा समूह के दो प्रबंधक और इतनी ही संख्या में टिकट बुकिंग क्लर्क शामिल हैं जो ब्रिटिश युग के पुल का प्रबंधन कर रहे थे।
हादसे में 134 लोगों की हुई थी मौत
गुजरात के मोरबी की मच्छू नदी में एक सदी पुराने सस्पेंशन ब्रिज के गिरने से 134 लोगों की जान चली गई थी। गुजरात उच्च न्यायालय ने 7 नवंबर को मोरबी दुर्घटना का स्वत: संज्ञान लिया, राज्य के गृह विभाग सहित अधिकारियों को नोटिस जारी किया और एक सप्ताह के भीतर रिपोर्ट मांगी थी।
नवंबर में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मोरबी पुल ढहने की घटना एक बड़ी त्रासदी थी। सुप्रीम कोर्ट ने मामले में पहले से सुनवाई कर रही गुजरात हाई कोर्ट से समय-समय पर सुनवाई के लिए कहा था।