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लखीमपुर हिंसा पर सुनवाई: योगी सरकार की स्टेटस रिपोर्ट पर सुप्रीम कोर्ट ने जताई नाराजगी, कही यह बात

नई दिल्ली। उत्तरप्रदेश (Uttar Pradesh) के लखमीपुर खीरी में हुई हिंसा (Violence in Lakhmipur Kheri) पर आज एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट (Supreme court) में सुनवाई हुई। चीफ जस्टिस एनवी रमन्ना (Chief Justice NV Ramanna) की अध्यक्षता वाली पीठ ने मामले की सुनवाई करते हुए उत्तर प्रदेश सरकार (Uttar Pradesh Government) की ओर से पेश की गई स्टेटस रिपोर्ट (status report) पर एक बार फिर से नाराजगी जताई है। बेंच ने कहा कि सरकार द्वारा दायर की गई स्टेटस रिपोर्ट में यह कहने के अलावा कुछ भी नहीं कि और भी गवाहों से पूछताछ की गई है। कोर्ट ने फटकार लगाते हुए कहा कि पिछली सुनवाई के दौरान दस दिन का समय दिया था। इसके बाद भी इस रिपोर्ट में कुछ नहीं है।

कोर्ट ने लखीमपुर खीरी हिंसा मामले की जांच हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज (retired judge of high court) की निगरानी में कराने का सुझाव दिया और उत्तर प्रदेश सरकार से शुक्रवार तक अपना रुख स्पष्ट करने को कहा। बता दें कि लखीमपुर खीरी केस में चार किसानों और एक स्थानीय पत्रकार सहित आठ लोग मारे गए थे। सुप्रीम कोर्ट ने फटकार लगाते हुए यूपी सरकार से पूछा कि केवल आशीष मिश्रा (Ashish Mishra) का फोन ही क्यों जब्त किया गया है और दूसरों के क्यों नहीं? सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह सुनिश्चित करने के लिए कि केस में सबूतों का कोई घालमेल न हो, हम मामले की जांच की निगरानी के लिए एक अलग उच्च न्यायालय के रिटायर्ड जज को नियुक्त करने के इच्छुक हैं।





लैब रिपोर्ट भी पेश नहीं हुई
कोर्ट ने लखीमपुर मामले में लैब रिपोर्ट भी पेश नहीं करने पर नाराजगी जताते हुए प्रदेश सरकार से सवाल किया। इस पर सरकार ने कहा कि लैब की रिपोर्ट 15 नंवबर को आएगी, जिसके बाद कोर्ट ने अगली सुनवाई शुक्रवार को करने का आदेश दिया। कोर्ट ने कहा है कि प्रदेश सरकार शुक्रवार तक अपना रुख साफ करे।

प्रधान न्यायाधीश एन वी रमण, न्यायमूर्ति सूर्य कांत और न्यायमूर्ति हिमा कोहली की पीठ ने सुनवाई की। इससे पहले इसी पीठ ने 26 अक्टूबर को न्यायालय ने उत्तर प्रदेश सरकार को लखीमपुर खीरी हिंसा मामले के गवाहों को संरक्षण प्रदान करने का निर्देश दिया था। न्यायालय ने उत्तर प्रदेश सरकार को मामले के अन्य गवाहों के बयान दण्ड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 164 के तहत दर्ज करने का भी निर्देश दिया था और डिजिटल साक्ष्यों की विशेषज्ञों द्वारा जल्द जांच कराने को कहा था।

जांच से खुश नहीं सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट लखीमपुर हिंसा की जांच से खुश नहीं है। कोर्ट ने सोमवार को कहा कि हमारी अपेक्षा के अनुरूप जांच नहीं की जा रही है। कोर्ट ने सुझाव दिया कि पूरे मामले की जांच हाईकोर्ट के पूर्व जजों की निगरानी में कराई जाए। इसके लिए पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के पूर्व जज रंजीत सिंह और राकेश कुमार जैन की नियुक्ति की जा सकती है।

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