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हिन्दुत्व को मामने वाले धर्म संसद में दिए बयानों पर कभी नहीं होंगे सहमत: बोले भागवत

नागपुर। धर्म संसद के बैनर तले आयोजित कार्यक्रमों में कथित तौर पर हिंदुत्व (Hindutva) की बातों पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत (Rashtriya Swayamsevak Sangh chief Mohan Bhagwat) ने असहमति जताई है। इन बयानों को खारिज करते हुए भागवत ने कहा कि यह हिन्दुत्व नहीं है। हिंदुत्व को मानने वाले लोग उन बयानों से कभी सहमत नहीं होंगे। भागवत ने यह बात मुंबई में ‘राष्ट्रीय एकता और हिंदुत्व’ विषय पर आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान कही।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख कहा कि भारतीय संविधान में हिंदुत्व दिखाई देता है। भागवत ने कहा कि हिंदुत्व भारतीय संस्कृति (Indian culture) और रीति-रिवाजों की 5,000 साल पुरानी परंपरा से निकला है। उन्होंने कहा कि सर्व समावेशी और सर्वव्यापी सत्य जिसे हम हिंदुत्व कहते हैं। यह हमारी राष्ट्रीय पहचान है। हम धर्मनिरपेक्षता के बारे में बात करते हैं, लेकिन यह हमारे देश में वर्षों से और हमारे संविधान बनाने से पहले मौजूद है और यह हिंदुत्व के कारण है।

उन्होंने कहा कि ‘यदि कभी मैं गुस्से में कुछ कह दूं तो वह हिंदुत्व नहीं है।’ संघ प्रमुख ने रायपुर में हुई धर्म संसद का उल्लेख करते हुए कहा कि RSS या हिंदुत्व को मानने वाले इसमें विश्वास नहीं करते। यहीं नहीं भागवत ने कहा कि वीर सावरकर (Veer Savarkar) ने हिंदू समुदाय की एकता और उसे संगठित करने की बातें कही थीं। उन्होंने ये बातें भगवद गीता का संदर्भ लेते हुए कही थीं। किसी को खत्म करने या नुकसान पहुंचाने के संदर्भ में नहीं।

भागवत ने स्पष्ट किया कि हिंदुत्व शब्द पहले गुरु नानक देव (Guru Nanak Dev) द्वारा गढ़ा गया था न कि वीर सावरकर ने, जैसा कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी (Congress leader Rahul Gandhi) ने उनका नाम लिए बिना दावा किया था। उन्होंने कहा कि हमें बदलते समय के साथ मिलकर बदलना चाहिए और कभी भी अन्य धर्मों और रीति-रिवाजों के साथ संघर्ष नहीं करना चाहिए। उन्होंने कहा कि ह्लहम सभी को एक साथ चलना चाहिए और यह हिंदुत्व है जो हम सभी को हिंदुओं के रूप में एक साथ बांधता है। हमें सभी गलत कामों को छोड़ना होगा और अनेकता में एकता बनाए रखनी होगी।

भारत हिंदू राष्ट्र है, बनने का सवाल नहीं
क्या भारत ‘हिंदू राष्ट्र’ बनने की राह पर है? इस सवाल पर मोहन भागवत ने कहा- यह हिंदू राष्ट्र बनाने के बारे में नहीं है। भले ही इसे कोई स्वीकार करे या न करे, यह हिंदू राष्ट्र है। हमारे संविधान की प्रकृति हिंदुत्व वाली है। यह वैसी ही है जैसी कि देश की अखंडता की भावना। आरएसएस प्रमुख ने कहा कि संघ का विश्वास लोगों को बांटने में नहीं बल्कि उनके मतभेदों को दूर करने में है। इससे पैदा होने वाली एकता ज्यादा मजबूत होगी। यह कार्य हम हिंदुत्व के जरिए करना चाहते हैं।

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