धर्म संसद में हेट स्पीच का मामला: सुनवाई के लिए तैयार हुआ सुप्रीम कोर्ट, कांग्रेस के इस नेता ने उठाया था यह मुद्दा
नई दिल्ली। हरिद्वार (Haridwar) में धर्मसंसद (dharmasansad) में अल्पसंख्यकों (minorities) के खिलाफ हेट स्पीच (hate speech) के मामले में स्वतंत्र जांच की मांग वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) सुनवाई के लिए तैयार हो गया है। इस मुद्दे को कांग्रेस के वरिष्ठ नेता (senior congress leader) कपिल सिब्बल (Kapil Sibal) ने शीर्ष अदालत के सामने उठाया था। सिब्बल ने अपनी याचिका में कहा था कि कथित रूप से हिंसा भड़काने का मुद्दा काफी खतरनाक है। जिस पर चीफ जस्टिस एनवी रमन्ना (Chief Justice NV Ramanna) ने कहा कि हम इस सुनवाई के लिए तैयार है। सिब्बल ने कोर्ट में यह भी कहा कि देश में सत्यमेव जयते (Satyameva Jayate) की जगह शस्त्रमेव जयते (Shastramev Jayate) की बात हो रही है। उन्होंने कहा कि FIR दर्ज हुई लेकिन अब तक कोई गिरफ्तारी नहीं हुई।
बता दें कि हरिद्वार के खड़खडी स्थित वेद निकेतन (Veda Niketan) में 17 से 19 दिसंबर तक धर्मसंसद आयोजित हुई थी। इसमें संतों की ओर से हेट स्पीच दी गई। धर्मसंसद की वीडियो सोशल मीडिया (video social media) पर वायरल हो गई थी। दरअसल, इस धर्म संसद में एक वक्ता ने विवादित भाषण देते हुए कहा था कि धर्म की रक्षा के लिए हिंदुओं को हथियार उठाने की जरूरत है। वक्ता ने कहा था कि किसी भी हालत में देश में मुस्लिम प्रधानमंत्री (Muslim Prime Minister) न बने। वक्ता ने कहा था कि मुस्लिम आबादी बढ़ने पर रोक लगानी होगी।
इसे लेकर पूरे देश में काफी विवाद भी मचा हुआ है। उधर, हरिद्वार पुलिस ने इस मामले में वसीम रिजवी उर्फ जितेंद्र नारायण त्यागी और अन्य के खिलाफ मामला भी दर्ज किया था। वहीं इस मामले में उत्तराखंड के गढ़वाल के डीआईजी केएस नागन्याल (DIG KS Nagnyal) ने का कहना है कि हरिद्वार में हाल ही में हुई धर्म संसद की जांच के लिए एक SIT का गठन किया गया था। इस धर्म संसद में कुछ प्रतिभागियों द्वारा कथित तौर पर अभद्र भाषा का प्रयोग किया गया था। मामले की जांच के लिए पांच सदस्यीय विशेष जांच दल का गठन किया गया है।
32 पूर्व अधिकारियों ने लिखा था खुला पत्र
हरिद्वार में वर्ग विशेष के खिलाफ दिए गए भड़काऊ भाषणों के मामले में पूर्व सेनाध्यक्षों समेत कई मशहूर लोगों द्वारा कार्रवाई की मांग करने के एक दिन बाद भारतीय विदेश सेवा (IFS) के 32 पूर्व अधिकारियों ने खुला पत्र लिखा था। आईएफएस के 32 पूर्व अधिकारियों ने कहा था कि किसी भी तरह की हिंसा के आह्वान की निंदा करते समय धर्म, जाति, क्षेत्र या वैचारिक मूल का लिहाज नहीं किया जाना चाहिए। सरकार के खिलाफ सतत निंदा अभियान चलाने का आरोप लगाते हुए उन्होंने कहा कि ऐसी निंदा सभी के लिए होनी चाहिए, न कि कुछ चुनिंदा लोगों के लिए।