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17 साल पुराने हत्या के मामले में बरी होने के बाद अजय मिश्र की बढ़ सकती हैं मुश्किलें

लखीमपुर खीरी। लखीमपुर खीरी हिंसा (Lakhimpur Kheri violence) की आग अभी बुझी भी नहीं है कि केन्द्रीय राज्य गृह मंत्री अजय मिश्र टेनी (Union Minister of State for Home Affairs Ajay Mishra Teni) के सामने एक और मुसीबत खड़ी होती दिख रही है। बताया जा रहा है कि 17 साल पुराने हत्या के एक मामले में उन्हें बरी किए जाने के निर्णय को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर उच्च न्यायालय (high Court) के फैसले का इंतजार है। अगर इस मामले में कोर्ट का फैसला मिश्र के खिलाफ आया तो उनकी मुश्किलें बढ़ सकती हैं।

बता दें न्यायमूर्ति देवेंद्र कुमार उपाध्याय (Justice Devendra Kumar Upadhyay) और न्यायमूर्ति दिनेश कुमार सिंह (Justice Dinesh Kumar Singh) की पीठ ने 12 मार्च 2018 को इस मामले में दाखिल अपील और याचिका पर सुनवाई के बाद अपना फैसला सुरक्षित कर लिया था। हालांकि आदेश सुनाये जाने से पहले इन याचिकाओं को यह कहते हुए फिर से सूचीबद्ध किया गया कि इनमें और सुनवाई करने की जरूरत है। उच्च न्यायालय की वेबसाइट पर दी गई जानकारी के मुताबिक इस मामले को पिछली बार 25 फरवरी 2020 को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया गया था।





मिश्रा तथा अन्य के खिलाफ 2000 में लखीमपुर खीरी जिले के तिकोनिया इलाके में 24 वर्षीय युवक प्रभात गुप्ता (Prabhat Gupta) की गोली मारकर हत्या किए जाने के मामले में मुकदमा दर्ज किया गया था। लखीमपुर खीरी की अपर सत्र न्यायालय ने 2004 में सुबूतों के अभाव में सभी आरोपियों को बरी कर दिया था।। स्थानीय अदालत के इस फैसले के बाद राज्य सरकार ने इसके खिलाफ उच्च न्यायालय में अपील दाखिल की थी। वहीं, मृतक के परिवार ने अलग से पुनरीक्षण याचिका दायर की थी।

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