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सेना पर किए जाने वाले खर्च की पूरी तरह से होती है वापसी, इसे Economy पर भार की तरह न देखें: सेना प्रमुख का बड़ा बयान

गांधीनगर। सेना प्रमुख जनरल एम एम नरवणे ने बुधवार को बड़ा बयान दिया। नरवणे ने गांधीनगर में राष्ट्रीय रक्षा विश्वविद्यालय में पुस्तक ‘फिफ्टी ईयर्स आॅफ 1971 वॉर एकाउंट्स फ्रॉम वेटरन्स’ का विमोचन करने के बाद कहा कि सशस्त्र बलों पर किया जाने वाला खर्च ऐसा निवेश है जिसकी पूरी तरह वापसी होती है और इसे अर्थव्यवस्था पर भार की तरह नहीं देखा जाना चाहिए।

जनरल नरवणे का बयान ऐसे समय में आया है जब रूस और यूक्रेन के बीच जंग चल रही है और भारत तथा चीन के बीच पूर्वी लद्दाख सीमा पर गतिरोध बना हुआ है। जनरल नरवणे ने जोर देते हुए कहा कि कोई देश शेयर बाजार के नीचे गिरने और हजारों निवेशकों के कंगाल होने के बाद भी झटके को सह सकता है यदि उसके सशस्त्र बल मजबूत हैं।





उन्होंने कहा कि जब भी हम सशस्त्र बलों की बात करते हैं और सशस्त्र बलों के लिए किये गये निवेश और खर्च के बारे में हम जब भी बात करते हैं, हमें इसे ऐसे निवेश के रूप में देखना चाहिए जो आपको पूरा लाभ देता है और इसे अर्थव्यवस्था पर बोझ के तौर पर नहीं देखा जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि सभी ने देखा कि संकट के समय अर्थव्यवस्था पर कितना असर पड़ता है।

उन्होंने कहा, ‘कहीं भी युद्ध होता है, कभी भी किसी क्षेत्र में अस्थिरता होती है तो आप सीधे शेयरों पर, स्टॉक मार्केट पर असर देख सकते हैं। इस तरह के झटकों को तभी झेला जा सकता है जब देश के सशस्त्र बल मजबूत हों। उन्होंने कहा कि सशस्त्र बल देश की सुरक्षा में बड़ी भूमिका निभाते हैं, वहीं अन्य अंग भी उतनी ही अहम भूमिका निभाते हैं। उन्होंने सेना में महिलाओं के लिए और अधिक रास्ते खोले जाने का भी उल्लेख किया।

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