जयशंकर के इस बयान से सहमत ड्रैगन: कहा- चीन-भारत के संबंधों के अपने अंर्तिनहित हैं तर्क
बीजिंग। चीन (Chaina) ने आज शुक्रवार को भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर (Indian External Affairs Minister S Jaishankar) के उस पर बयान पर सहमति जताई जिसमें उन्होंने कहा था कि बीजिंग (Beijing) को भारत के साथ अपने संबंधों को किसी तीसरे देश के नजरिये से नहीं देखना चाहिए। चीन ने कहा कि चीन-भारत के संबंधों के अपने अंर्तिनहित तर्क हैं। ज्ञात हो कि भारतीय विदेश मंत्री ने दुशांबे (Dushanbe) में अपने चीनी समकक्ष वांग यी (wang yi) से कहा था कि दोनों पक्षों को पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) से संबंधित लंबित मुद्दों का जल्द समाधान निकालने के लिए काम करना चाहिए।
दुशान्बे में शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के शिखर सम्मेलन से इतर एक बैठक में गुरुवार को जयशंकर ने कहा कि दोनों पक्षों को परस्पर सम्मान आधारित संबंध स्थापित करना होगा और जिसके लिए यह आवश्यक है कि चीन, भारत के साथ अपने संबंधों को, तीसरे देशों के साथ अपने संबंधों के दृष्टिकोण से देखने से बचे।
जयशंकर की टिप्पणी को लेकर पूछे गए सवाल पर चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियान (Chinese Foreign Ministry spokesman Zhao Lijian) ने प्रेसवार्ता के दौरान कहा, हम भारतीय पक्ष की टिप्पणी से सहमत हैं। उन्होंने कहा कि चीन और भारत दोनों महत्वपूर्ण एशियाई देश हैं। संबंध विकसित करने के लिए दोनों देशों का एक अंर्तिनहित आवश्यक तर्क है।
चीन-भारत के संबंध कभी किसी तीसरे पक्ष को निशाना नहीं बनाते। इससे जुड़े एक सवाल के जवाब में झाओ ने कहा, भारत-चीन संबंधों की प्रगति अपने अंर्तिनहित तर्क का पालन करती है। चीन-भारत संबंध किसी तीसरे पक्ष को निशाना नहीं बनाते और ना ही किसी तीसरे पक्ष पर आधारित हैं।