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भारत में भी बन सकते हैं चीन जैसे हालात: 72 थर्मल पॉवर संयंत्रों के पास महज कुछ दिनों के लिए बचा है कोयला

नई दिल्ली। चीन (China) में इन दिनों कोयले का संकट (coal crisis) गहराया हुआ है। कोयले की कमी के कारण बिजली न बन पाने से चीन में उद्योगों के साथ-साथ आम लोगों को भी बिजली संकट (power crisis) का सामना करना पड़ा रहा है। अब इसी भारत में भी कोयले का संकट गहराता दिख रहा है। सूत्रों की माने देश के 72 थर्मल पॉवर संयंत्रों (72 Thermal Power Plants) के पास बिजली बनाने लायक कोयला महज अब कुछ दिनों के लिए ही बचा है। अगर ऐसी स्थिति रही तो बिजली उत्पाद ठप होने की आशंका है।

कोयले के बढ़ते संकट से देश की सबसे बड़ी कोयला खनन कंपनी कोल इंडिया लिमिटेड (Coal Mining Company Coal India Limited) सरकार के निशाने पर आ गई है। केंद्र की मोदी सरकार (Modi government) बार-बार कोल इंडिया को चेतावनी दे रही है कि बिजली बनाने वाले संयंत्र में कोयले की नियमित आपूर्ति सुनिश्चित की जाए। बता दें कि देश में कुल 135 थर्मल पॉवर संयंत्र हैं। ये संयंत्र कुल खपत का 66.35 फीसदी बिजली उत्पादन करते हैं। इस लिहाज से देखें तो 72 संयंत्र बंद होने पर कुल खपत में 33 फीसदी बिजली की कमी हो सकती है।

सरकार के अनुसार, कोरोना (Corona) से पहले अगस्त-सितंबर 2019 में देश में रोजाना 10,660 करोड़ यूनिट बिजली की खपत थी, जो अगस्त-सितंबर 2021 में बढ़कर 12,420 करोड़ यूनिट हो चुकी है। कोयले से बिजली बनाने वाले संयंत्र में कोयले की किल्लत की वजह से बिजली के उत्पादन पर असर पड़ रहा है। आशंका है कि बिजली उत्पादन ठप होने की वजह से भारत में भी चीन जैसा बिजली संकट पैदा हो सकता है।





उस दौरान थर्मल पावर संयंत्रों में कुल खपत का 61.91 फीसदी बिजली उत्पादन हो रहा था। इसके चलते दो साल में इन संयंत्रों में कोयले की खपत भी 18% बढ़ चुकी है। बाकी 50 संयंत्रों में से भी चार के पास महज 10 दिन और 13 के पास 10 दिन से कुछ अधिक की खपत लायक ही कोयला बचा है।

केंद्र सरकार ने बनाई निगरानी समिति
केंद्र ने स्टॉक की सप्ताह में दो बार समीक्षा के लिए कोयला मंत्रालय (ministry of coal) के नेतृत्व में समिति बनाई है। केंद्रीय बिजली प्राधिकरण, कोल इंडिया लि., पावर सिस्टम आपरेशन कॉपोर्रेशन, रेलवे और ऊर्जा मंत्रालय की भी कोर प्रबंधन टीम बनाई गई है, जो रोज निगरानी कर रही है।

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