हिन्दू की नहीं कोई परिभाषा, पर यह हमारी पहचान: और क्या कहा भागवत ने पढ़ें
शिलांग। आरएसएस चीफ मोहन भागवत ने शिलांग के यू सोसो थाम आडिटोरियम में एक कार्यक्रम को संबोधित कतरे हुए कहा कि भारत की एकता ही उसकी ताकत है। भारत जिस विविधता का दावा करता है वह गर्व की बात है। पर दुनिया सोचती है कि हम अलग हैं। जबकि भारत कहता है ‘अनेकता में एकता’। यह भारत की विशेषता है जो सदियों से है।
उन्होंने कहा कि हम हमेशा एक रहे हैं लेकिन जब हम यह भूल गए तो हम अपनी आजादी खो देते है। इसलिए हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि हम एक बने और हमारे देश को मजबूत और अधिक आत्मनिर्भर बनाएं। हम सबको इस एकता के लिए काम करना होगा। श्री भागवत ने वसुधैव कुटुम्बकम के प्राचीन भारतीय दर्शन के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि जिसका अर्थ है दुनिया एक परिवार है, हम पुरातन समय से एक प्राचीन राष्ट्र हैं। लेकिन हमारे सभ्यता के आदर्श वाक्य और मूल्यों को भूलने के कारण हमने अपनी स्वतंत्रता खो दी।
उन्होंने कहा कि हम हिंदू हैं, लेकिन हिंदू की कोई विशेष परिभाषा नहीं है, हालांकि यह हमारी पहचान है। भारतीय और हिंदू दोनों शब्द पर्यायवाची हैं। इस डर को दूर करते हुए कि आरएसएस लोगों को धर्मांतरित करने की कोशिश करेगा, भागवत ने कहा कि लोगों को आरएसएस के बारे में प्रचार में विश्वास नहीं करना चाहिए और इसके कुछ शिविरों में जाकर देखना चाहिए कि संगठन किस के लिए प्रयास कर रहा है।