शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती का अंतिम संस्कार आज, नरसिंहपुर में शाम 4 बजे दी जाएगी भू-समाधि
द्वारका-शारदा पीठ और ज्योतिर्मठ पीठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के पार्थिव शरीर को आज नरसिंहपुर के परमहंसी गंगा आश्रम में भू-समाधि दिलाई जाएगी। फिलहाल परमहंसी गंगा आश्रम के पास मणिदीप आश्रम में शंकराचार्य का पार्थिव शरीर रखा गया है, जहां उनके अंतिम दर्शन के लिए भक्तों की भीड़ लगी हुई है। रविवार को शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती का निधन हो गया था। उन्होंने 99 साल की उम्र में मध्य प्रदेश के नरसिंहपुर झोतेश्वर स्थित परमहंसी गंगा आश्रम में आखिरी सांस ली। स्वरूपानंद सरस्वती को हिंदुओं का सबसे बड़ा धर्मगुरुओं में से एक माना जाता था। शंकराचार्य के निधन से पूरे देश में शोक की लहर है। पीएम नरेंद्र मोदी समेत देश की कई बड़ी हस्तियों ने शंकराचार्य के निधन पर शोक व्यक्त किया है।
शिष्य ने दी समाधि की जानकारी
शंकराचार्य महाराज को जहां समाधि दी जाएगी उसका निरीक्षण करते हुए सदानंद जी महाराज ने बताया कि सोमवार शाम 4 बजे उनकी समाधी होगी। इससे पहले सभी पार्थिव शरीर को अंतिम दर्शन के लिए रखा जाएगा। निधन के बाद झोतेश्वर स्थित परमहंसी गंगा आश्रम से शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती की पार्थव देह मणिदीप आश्रम से गंगा कुंड स्थल पालकी में रखकर लाया गया। यहीं भक्त अंतिम दर्शन कर पाएंगे। इसके बाद समाधि होगी। फिलहाल अंतिम दर्शन के लिए अभी से भक्तों की भीड़ जुटने लगी है। वहीं कल सुबह से ही कई वीआईपी के आने की संभावना है। इसी कारण सुरक्षा के लिहाज से पुलिस और जिला प्रशासन ने मोर्चा संभाल लिया है।आश्रम के आस-पास भारी संख्या में पुलिस बल तैनात किया गया है।
ऐसे दी जाएगी समाधि
भू-समाधि देने का विधान शैव, नाथ दशनामी, अघोर और शाक्त परंपरा के साधू-संतों के लिए है। पार्थिव शरीर को सिद्धासन की मुद्रा में बैठाकर भूमि में दफना दिया जाता है। आम तौर पर संतों की पार्थिव देह को उनके गुरु की समाधि के पास या मठ में दफनाया जाता है। शंकराचार्य को भी उनके आश्रम में भू-समाधि दी जाएगी।
पीएम मोदी समेत दिग्गजों ने किया याद
महराज के निधन के बाद उनके भक्तों में शोक है। देश भर से दिग्गज उनके निधन पर प्रतिक्रिया दे रहे हैं। पीएम मोदी, केंद्रीय मंत्री अमित शाह, सीएम शिवराज, छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, योगी आदित्या नाथ, केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्या सिंधिया, नरेंद्र सिंह तोमर और दिग्विजय सिंह, कमलनाथ समेंत लगभग सभी नेताओं ने महराज को याद किया और श्रद्धांजली दी।
शंकराचार्य का 2 सितंबर 1924 से 11 सितंबर 2022 तक रहा जीवन काल
शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती का जन्म मध्यप्रदेश के सिवनी जिले के दिघोरी गांव में ब्राह्मण परिवार में हुआ था। महज 9 साल की उम्र में इन्होंने घर छोड़ धर्म की यात्रा शुरू कर दी थी। 1942 में वे अंग्रेजों भारत छोड़ो आंदोलन में कूद पड़े और 19 साल की आयु में वह क्रांतिकारी साधु के रूप में प्रसिद्ध हुए। इस कारण उन्हें जेल भी जाना पड़ा था। वो 1950 में दंडी संन्यासी बनाए गए, जिसके बाद 1981 में शंकराचार्य की उपाधि मिली। राजनीति की बात की जाए तो 30 जून, 2014 को शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने जम्मू कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाने की वकालत की थी। उन्होंने कहा था कि जम्मू कश्मीर से इसे हटाया जाना चाहिए। उनका कहना था कि आर्टिकल 370 हटना घाटी के लोगों के लिए लाभकारी होगा। शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने कहा था कि कश्मीर घाटी में कश्मीरी हिंदुओं के लौटने से राज्य की देश विरोधी ताकतें कमजोर हो जाएंगी। इसके अलावा शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने हिंदुओं और मुसलमानों के लिए यूनिफॉर्म सिविल लॉ की वकालत की थी। उनका कहना था कि इससे उनकी आबादी में संतुलन रहेगा। वहीं, 2015 में शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने महाराष्ट्र सरकार के उस फैसले की प्रशंसा की थी, जिसमें राज्य के स्लॉटर हाउसों को पर प्रतिबंध को बढ़ा दिया गया था। उनका कहना था कि इससे दूध उत्पादन बढ़ेगा और देश के बच्चों को इसका फायदा मिलेगा। शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती महाराष्ट्र के अहमदनगर में स्थित भगवान शनि के मंदिर शनि शिंगणापुर में महिलाओं के प्रवेश के खिलाफ भी थे। उन्होंने 2016 में कहा था कि शनि क्रूर ग्रह है। ऐसे में महिलाओं को भगवान की पूजा करते समय सावधान रहना चाहिए। शनि का प्रभाव महिलाओं के लिए हानिकारक है, ऐसे में महिलाओं को उनसे दूर रहना चाहिए।