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भारत को विश्व गुरु बनाने संघ प्रमुख ने दिया ऐसा मंत्र

बिलासपुर। आरएसएएस के प्रमुख मोहन भागवत (RSS chief Mohan Bhagwat) ने छत्तीसगढ़ के मुंगली जिले (Mungeli district of Chhattisgarh) से होकर बहने वाली शिवनाथ नदी में स्थित मदकू द्वीप (Madaku Island in Shivnath River) में संघ के घोष शिविर को संबोधित किया। इस दौरान संघ प्रमुख ने कहा कि भारत को विश्व गुरु (world guru to india) बनाने के लिए किसी का धर्म परिवर्तन (Religion change) करना नहीं बल्कि जीना सिखाना है। उन्होंने संघ के संगठन की शक्ति पर बल देते हुए कहा कि कलियुग में कमजोर का हमेशा शोषण (Kali Yuga) होता है। उन्होंने कहा कि भारत का धर्म सत्य (India’s Dharma Truth) है और सत्य ही धर्म है।

भागवत ने आगे कहा कि हम पूरी दुनिया को ऐसा सबक देने के लिए भारत भूमि में पैदा हुए हैं। हमारा संप्रदाय किसी की पूजा प्रणाली को बदले बिना अच्छा इंसान बनाता है। वहीं उन्होंने कहा कि सत्यमेव जयते नानृतम् (Satyameva Jayate Nanritam)। सत्य की ही जीत होती है, असत्य की नहीं। झूठ कितनी भी कोशिश कर लेकिन झूठ कभी विजयी नहीं होता है।’ स्वामी विवेकानंद (Swami Vivekananda) ने कहा था कि कमजोरी पाप है। शक्ति का अर्थ संगठन से जीना है।

उन्होंने कहा कि इस घोष शिविर में शामिल लोग अलग-अलग वाद्य यंत्र (musical instrument) बजा रहे हैं, लेकिन उन्हें धुन ने जोड़ रखा है। देश में सैकड़ों भाषाएं हैं, विभिन्न राज्य हैं, लेकिन सभी की मूल धुन एक है। जो कोई धुन को गड़बड़ करने की कोशिश करेगा, उसे देश की लय ठीक कर देगी। संघ प्रमुख ने कहा कि भारतीय समाज में बहुत से देवी-देवता हैं पर सदियों से चल रही प्रक्रिया के तहत सभी को साथ लेकर चलना जरूरी है। बिना मजहब बदलवाने का प्रयास किए दुनियाभर में हिंदू धर्म को पहुंचाने की जरूरत है।

भागवत ने कहा, ”यहां विविधता में एकता है और एकता में विविधता है। भारत ने कभी किसी का बुरा नहीं चाहा। पूर्व में हमारे पूर्वज यहां से पूरी दुनिया में गए और उन्होंने वहां के देशों को अपना धर्म (सत्य) दिया। लेकिन हमने कभी किसी को बदला नहीं, जो जिसके पास था उसे उसके पास ही रहने दिया। हमने उन्हें ज्ञान दिया, विज्ञान दिया, गणित और आयुर्वेद दिया तथा उन्हें सभ्यता सिखाई। इसलिए हमारे साथ लड़ने वाले चीन के लोग भी यह कहते हुए नहीं सकुचाते कि भारत ने 2000 वर्ष पूर्व ही चीन पर अपनी संस्कृति का प्रभाव जमाया था, क्योंकि उस प्रभाव की याद ही सुखद है दुखद नहीं है।”

संघ प्रमुख ने कहा कि हमारे पूर्वजों ने दुनियाभर का भ्रमण किया और गणित व आयुर्वेद जैसे ज्ञान बिना किसी की पहचान बदले दिए। वे पूरी दुनिया को परिवार मानते थे। यहां तक कि चीन भी यह कहने में नहीं झिझकता कि 2000 साल पहले भारतीय संस्कृति ने उस पर प्रभाव डाला था। रायपुर से करीब 90 किलोमीटर दूर स्थित मदकू शिवनाथ नदी का एक द्वीप है। यह अपनी प्राकृतिक सुंदरता और पुराने मंदिरों के लिए प्रसिद्ध है।

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