शख्सियत

राहुल गाँधी के डॉग प्रेम ने इस शख्स की बदल दी जिंदगी 

हिमंत  बिस्वा सरमा (Himanta Biswa Sarma) असम के नए मुख्यमंत्री होंगे। विधानसभा चुनाव में भाजपा की जीता का श्रेय सरमा को ही प्रमुख रूप से दिया  जा रहा है. उनकी जिंदगी के इस महत्वपूर्ण घटनाक्रम के पीछे एक रोचक किस्सा जुड़ा हुआ है. वह है कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गाँधी (Rahul Gandhi) से नाराजगी। नाराजगी की वजह गाँधी का डॉग प्रेम बनी थी.

सरमा असम में कांग्रेस के महत्वपूर्ण नेताओं में गिने जाते थे. ये तब की बात है, जब राहुल गाँधी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष हुआ करते थे. कहा जाता है कि सरमा ने करीब सात से आठ बार  राहुल से मिलने  का समय माँगा, लेकिन उन्हें कोई तवज्जो नहीं दी गयी. फिर किसी तरह वे इस काम  में सफल हुए. राहुल से मिलकर सरमा पार्टी की बिगड़ती हालत पर बात करना चाह रहे थे. लेकिन उनके कहे पर ध्यान देने की बजाय राहुल तब पूरा समय अपने कुत्ते के साथ खेलने में बिताते रहे. हिमंत  इस अपमान से काफी आहत हुए और उन्होंने भाजपा में जाने का निर्णय ले लिया।

को राजनीति में लाने का काम असम के पूर्व मुख्यमंत्री हितेश्वर सैकिया (Hiteswar Saikia) ने किया था। हालांकि, उनकी पूरी राजनीतिक समझ पूर्व सीएम तरुण गोगोई (Tarun Gogoi) की छत्रछाया में विकसित हुई। साल 1996 में सरमा ने पहली बार विधानसभा चुनाव लड़ा था। इस चुनाव में उन्हें असम आंदोलन के नेता भृगु फुकन (Bhrigu Phukan) ने हरा दिया। इसके बाद वह 15 मई 2001 को फिर जालुकबरी(Jalukbari) से विधानसभा चुनाव लड़े और फुकन को 10 हजार मतों के अंतर से परास्त कर दिया।

इसके बाद वह लगातार तीन बार इस विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस के टिकट पर निर्वाचित हुए। गोगोई सरकार में ही उनकी किस्मत का सितारा बुलंद हुआ। वह राज्य सरकार में मंत्री बने और फिर धीरे-धीरे प्रदेश में कांग्रेस के कद्दावर नेताओं में शुमार होने लगे। बाद में  उन्होंने कांग्रेस छोड़ दी।

साल 2014 में कांग्रेस पार्टी का साथ छोड़ने के बाद उन्होंने तत्कालीन बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह (Amit Shah) के आवास पर बीजेपी का हाथ थाम लिया। साल 2016 में असम में चुनाव होने वाले थे, तो उन्हें पार्टी का संयोजक बनाकर मैदान में उतारा गया। बीजेपी ने चुनाव जीत लिया लेकिन हिमंत सीएम नहीं बने। तब केंद्रीय मंत्री और बीजेपी नेता सर्वानंद सोनोवाल (Sarbananda Sonowal) को मुख्यमंत्री बनाया गया। लगातार चौथी बार जालुकबरी से जीतने वाले सरमा इस सरकार में कैबिनेट मंत्री बने।

 जब पहली बार खिला कमल वहाँ 
साल 2016 में असम में पहली बार कमल खिलाने के बाद इस बार भी हिमंत के ऊपर ही सत्ता में वापसी की जिम्मेदारी थी। प्रदेश में स्वास्थ्य मंत्री रहते हुए उन्होंने जनहित में कई सारे अच्छे काम किए थे। माना जाता है कि यह हिमंत बिस्व सरमा का ही जादू है कि राज्य के लोगों ने लगातार दूसरी बार बीजेपी को सत्ता सौंप दी। ऐसे में मुख्यमंत्री पद पर उनकी दावेदारी भी काफी मजबूत हुई।

 

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