शख्सियत

योगी हिंदुत्व की सिर्फ बात ही नहीं करते बल्कि हिंदुत्व को जीते हैं

नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश में भाजपा सरकार के चार साल होने जा रहे हैं, इस दौरान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपनी हिंदुत्ववादी छवि से कभी समझौता नहीं किया है। योगी हिंदुत्व की सिर्फ बात ही नहीं करते बल्कि हिंदुत्व को जीते हैं। उनका हिंदुत्व कैसा है और उससे कौन सहमत है या असहमत है, यह अलग मुद्दा है। पर सीएम योगी के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश में भगवा सियासत की धारा को तेज धार मिली है। पिछले चार सालों में उन्होंने न सिर्फ अयोध्या-मथुरा-काशी पर ही फोकस किया बल्कि भव्य राममंदिर के लिए खजाना खोला तो लव जिहाद से लेकर एंटी सीएए आंदोलनकारियों से निपटने के लिए कड़ाई से एक्शन लिया है, जिसे हिंदुत्व के एजेंडे से जोड़कर देख जा रहा है। इतना ही नहीं उनकी हिंदुत्व की राजनीति की राह पर मध्य प्रदेश, हरियाणा, हिमाचल जैसे बीजेपी शासित राज्य भी चलते दिखे हैं।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सूबे की सत्ता पर काबिज होने के बाद अपने कुछ फैसलों से बीजेपी में अपनी मजबूत जगह बनाई है। पीएम नरेंद्र मोदी के बाद सबसे ज्यादा प्रभाव अगर उत्तर भारत के हिंदू समुदाय पर किसी का है तो वो सीएम योगी आदित्यनाथ ही हैं। उन्होंने यह उपलब्धि सीएम बनने के बाद कुछ वर्षों में अपने हिंदुत्व के एजेंडे को अमलीजामा पहनाकर हासिल किया है। संघ परिवार और बीजेपी का मूल एजेंडा हिंदुत्व रहा है और उसमें बड़ी सफलता पहले लालकृष्ण आडवाणी को मिली तो बाद में नरेंद्र मोदी को। वहीं, अब इस मामले में योगी बीजेपी में इन दोनों शीर्ष नेताओं के बाद अपनी जगह बनाने में सफल हुए हैं।

अयोध्या-मथुरा-काशी पर मेहरबान
मुख्यमंत्री बनने के बाद से ही योगी आदित्यनाथ का अयोध्या-मथुरा-काशी के विकास पर खास फोकस रहा है। उन्होंने फैजाबाद का नाम बदलकर अयोध्या रखा और दुनिया की सबसे ऊंची भगवान राम की प्रतिमा का निर्माण अयोध्या में शुरू करवाया। योगी सरकार सूबे में जब से आई हैं हर साल अयोध्या में सरयू के तट पर लाख दीयों को प्रज्जवलित कर भव्य दिवाली मनाने की परंपरा को और विस्तार मिला है, जिसमें सीएम खुद पूरी कैबिनेट के साथ शामिल होते हैं। सत्ता में आने के बाद ही इसे भव्य तरीके से मनाना शुरू किया गया है।

योगी सरकार ने अयोध्या में भव्य राममंदिर निर्माण के लिए 107 एकड़ जमीन उपलब्ध करायी है जबकि पहले 70 एकड़ जमीन ट्रस्ट के पास थी। अयोध्या में 5 अगस्त 2020 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राम मंदिर की नींव रख दी थी, जिसमें मुख्यमंत्री योगी भी उपस्थित थे। उन्होंने अयोध्या में एयरपोर्ट बनाने को हरी झंडी दी और साथ ही रेलवे स्टेशन से लेकर एयरपोर्ट तक के सभी नाम भगवान श्रीराम के नाम पर रखे गए हैं। वहीं, सीएम मथुरा में जाकर जन्माष्टमी और होली मनाते हैं। इसके अलावा अयोध्या से लेकर चित्रकूट तक राम सर्किट सहित तमाम विकाय कार्य किए जा रहे हैं। पिछले चार सालों से हर बजट में इन शहरों के लिए सौगात दी जा रही हैं। काशी के विकास की सीएम योगी खुद निगरानी कर रहे हैं।

योगी का धर्मांतरण विरोधी कानून
योगी आदित्यनाथ सरकार जबरन होने वाले धर्मांतरण के खिलाफ उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्मांतरण प्रतिषेध अध्यादेश-2020 लेकर आई है। इसे एंटी लव जिहाद कानून के तौर पर ज्यादा प्रचारित किया गया है। इस कानून के मुताबिक अगर यह साबित हो जाता है कि धर्म परिवर्तन की मंशा से शादी की गई है, तो दोषी को 10 साल तक की सजा दी जा सकती है। इसके तहत जबरन, लालच देकर या धोखाधड़ी से धर्म परिवर्तन कराने को भी गैर जमानतीय अपराध माना गया है। एक तरह से तोहफा, पैसा, मुफ्त शिक्षा, रोजगार या बेहतर सुख-सुविधा का लालच देकर धर्म परिवर्तन कराना अपराध है।

वहीं, इस लव जिहाद कानून के अध्यादेश में सामान्य तौर पर अवैध धर्म परिवर्तन पर पांच साल तक की जेल और 15 हजार रुपये के जुमार्ने का प्रावधान है। लेकिन अनुसूचित जाति-जनजाति की नाबालिग लड़कियों से जुड़े मामले में 10 साल तक की सजा का प्रावधान और 25 हजार रुपये जुमार्ने का प्रावधान है। इसके पीछे वजह यह है कि दलित और आदिवासी समुदाय में धर्म परिवर्तन के ज्यादा मामले आते हैं। पहले के धर्म में दोबारा अपनाने को धर्म परिवर्तन नहीं माना जाएगा यानी एक तरह से घर वापसी को सही माना गया है। योगी आदित्यनाथ के इस कानून की भले ही कुछ लोग आलोचना कर रहे हों, लेकिन इसे हिंदुत्व के एजेंडे को मजबूत करने वाला माना जा रहा है। यही वजह है कि बीजेपी शासित राज्य इसे अपनाने में जुटे हैं। यूपी की तर्ज पर हरियाणा, हिमाचल, मध्य प्रदेश और कर्नाटक जैसे बीजेपी शासित राज्यों ने अपने यहां ऐसा ही कानून बनाया है।

सीएए विरोधी प्रदर्शनकारियों पर एक्शन
नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ उत्तर प्रदेश में प्रदर्शन करने वाले लोगों के खिलाफ सीएम योगी आदित्यनाथ ने सख्त रुख अख्तियार किया था। योगी सरकार नागरिकता कानून के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन से सख्ती से निपटी थी और दो दर्जन के करीब प्रदर्शनकारियों की पुलिस फायरिंग में मौत भी हो गई थी। इतना ही नहीं विरोध प्रदर्शन के दौरान सार्वजनिक और निजी संपत्तियों के नुकसान की भरपाई के लिए प्रदर्शनकारियों से वसूली की गई थी। उनके पोस्टर भी चौराहों पर चस्पा किए गए थे। सीएम योगी ने विधानसभा में कहा था जो भी लोग प्रदर्शन में मरे हैं, वह निर्दोष नहीं हैं। दंगाई खुद अपनी ही गोली से मरे हैं। सीएम योगी आदित्यनाथ ने साफ कहा था कि जो कोई भी कानून का मजाक उड़ाएगा, वह अंजाम भुगतेगा। योगी सरकार की देखा देखी गुजरात की रुपाणी सरकार और मध्य प्रदेश की शिवराज सरकार ने भी प्रदर्शनकारियों से हजार्ना वसूल करने के निर्देश दिए थे।

गौहत्या विरोधी कानून
योगी आदित्यनाथ ने यूपी की सत्ता पर काबिज होते ही सबसे पहले गौहत्या की रोकथाम के लिए सख्त कदम उठाए थे। इस दिशा में योगी सरकार ने उत्तर प्रदेश गोवध निवारण कानून बनाया, जिसके तहते गौहत्या पर 3 से 10 साल की सजा और गौवंश को शारीरिक तौर पर नुकसान पहुंचाने पर पौने दो साल की सजा का प्रावधान है। यूपी में तमाम अवैध स्लाटर हाउस बंद कर दिए गए हैं। सीएम योगी गौहत्या कानून का देश के दूसरे राज्यों में बीजेपी की रैली में जाकर प्रचार-प्रसार भी करते हैं। यूपी की तर्ज पर कर्नाटक की येदियुरप्पा सरकार ने भी ऐसा ही कानून बनाया है। हरियाणा की खट्टर सरकार ने भी गौहत्या के खिलाफ यूपी की तरह सख्त कानून बनाया है।

आजम-मुख्तार-अतीक योगी के निशाने पर
सूबे की सत्ता पर काबिज होने के बाद से योगी आदित्यनाथ के निशाने पर कई मुस्लिम नेता रहे हैं। समाजवादी पार्टी के मुस्लिम चेहरा माने जाने वाले आजम खान पर टेढ़ी नजर रही। पिछले चार साल में आजम खान पर 100 से ज्यादा मुकदमे दर्ज किए गए हैं और आजम खान सहित उनकी पत्नी तंजीन फातिमा और बेटे अब्दुल्ला आजम खान को जेल जाना पड़ा। आजम खान की पत्नी जमानत पर बाहर आई हैं, लेकिन आजम और उनके बेटे अभी भी बंद है। आजम खान के जौहर विश्विविद्यालय पर भी योगी सरकार की नजर टेढ़ी रही है, उसकी बाउंड्री तोड़े जाने से लेकर जमीन तक की लीज को भी खत्म किया गया है।

योगी सरकार ने सिर्फ आजम खान के खिलाफ एक्शन लिया बल्कि बाहुबली मुख्तार अंसारी और अतीक अहमद पर भी सख्त कार्रवाई की है। इन दोनों मुस्लिम बाहुबलियों के अवैध निर्माण पर बुलडोजर चलवा कर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पूर्वांचल ही नहीं हिंदी पट्टी में अपनी अलग पहचान बना ली है। पंजाब की जेल में बंद मुख्तार अंसारी को उत्तर प्रदेश लाने के लिए योगी सरकार सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गई। हालांकि, उन्होंने हिंदू बाहुबली खासकर राजपूत नेता पर एक्शन उसी तरह से नहीं लिया जिस तरह से उन्होंने मुख्तार और अतीक को लेकर किया। यूपी प्रशासन ने उनके तमाम साथियों के अवैध घर और मार्केट को जमीदोज कर दिया। कोई योगी की राजनीति से भले ही सहमत न हो पर उनकी हिंदुत्व की राजनीति इससे बहुत मजबूत हुई है।

कांवड़ियों पर फूल बरसाया
यूपी में योगी सरकार के आने के बाद से ही सूबे भर में कांवड़ियों पर सरकार मेहरबान नजर आई तो दूसरी तरफ सावन के महीने में कांवड़ियों के रूट पर मांस की बिक्री पर रोक लगाने का काम किया। कांवड़ियों पर हेलीकॉप्टर से फूल बरसाने का काम योगी सरकार के राज में हुआ है। कांवाड़ियों की सुरक्षा के लिए ड्रोन कैमरे से लेकर एंटी टेररिस्ट स्क्कॉड से निगरानी करने का काम योगी सरकार ने कराया और डीजे को बजाने की छूट दे दी गई।

गंगा चबूतरा से राममंदिर झांकी तक
गंगा यात्रा के बहाने ही योगी सरकार ने अपने हिंदुत्व एजेंडे को और धार देने का काम किया है। सीएम योगी ने गंगा नदी के किनारे जगह-जगह आरती शुरू करवाई है। इसके लिए राज्य सरकार गंगा के किनारे वाले गांवों में बकाया गंगा चबूतरा बनवा रही है, फिर वहां हर दिन शाम में आरती कराई जा रही। इसके अलावा नदी किनारे फलदार पौधे लगाए जाएंगे। जैसे मध्य प्रदेश में नर्मदा नदी के किनारे पौधे लगाए गए थे। गंगा नदी से हिंदू समुदाय का गहरा धार्मिक रिश्ता है। गंगा आरती और पूजन के जरिए योगी सरकार हिंदुत्व के एजेंडे को बनाए रखना चाहती है। इसके अलावा उन्होंने इस साल गणतंत्र दिवस पर दिल्ली की परेड में राम मंदिर की झांकी को भेजा थी, जिसे प्रथम पुरस्कार मिला है। इस झांकी को अब यूपी में गांव-गांव में घुमाया जा रहा है।

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