यूक्रेन मुद्दे पर UNSC में तटस्थ रहा भारत: रूस के इस प्रस्ताव पर मतदान से बनाई दूरी, 13 और देशों का भी नहीं मिला साथ
संयुक्त राष्ट्र। भारत ने यूक्रेन में मानवीय संकट पर रूस द्वारा लाए गए प्रस्ताव से दूर रहकर रूस-यूक्रेन स्थिति पर अपना तटस्थ रुख बनाए रखा। यही वजह रही की भारत ने रूस के मसौदा प्रस्ताव पर सुरक्षा परिषद में वोटिंग से दूरी बना ली। सबसे खासत ात यह रही की भारत के अलावा 13 अन्य देशों ने भी मतदान में भाग नहीं लिया। बता दें कि इससे पहले भारत यूएन में यूक्रेन मुद्दे पर रूस के खिलाफ पश्चिम देशों के प्रस्ताव पर भी दूरी बनाता आया है।
मसौदा प्रस्ताव पर मतदान से भारत समेत 13 देशों द्वारा दूरी बनाने पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद द्वारा प्रस्ताव को स्वीकार नहीं किया गया, क्योंकि इसे सिर्फ रूस और चीन का समर्थन मिला था। रूस ने प्रस्ताव में कहा, मानवीय कर्मी, महिलाएं और बच्चों सहित यूक्रेन के नागरिक पूरी तरह से सुरक्षित हैं। लोगों की सुरक्षित और तेजी से निकासी को सक्षम बनाने के लिए बातचीत के लिए संघर्ष विराम का आह्वान किया।
बता दें कि किसी भी देश ने उस प्रस्ताव के खिलाफ मतदान नहीं किया, जिसमें आक्रमण का कोई संदर्भ नहीं था। सुरक्षा परिषद के अन्य सदस्यों ने प्रस्ताव पर मतदान के बाद बयान दिया। हालांकि, भारत ने इससे परहेज किया। इससे पहले के मौकों पर भारत ने यूक्रेन पर रूस के आक्रमण पर प्रस्तावों पर सुरक्षा परिषद में दो बार और एक बार महासभा में मतदान में भाग नहीं लिया था।
अमेरिका ने जताया रूस का विरोध
यूएन में अमेरिका की राजदूत लिंडा थॉमस ग्रीनफील्ड ने कहा, सुरक्षा परिषद के 13 सदस्यों ने यूक्रेन में पैदा हुए मानवीय संकट के लिए रूस के प्रस्ताव पर वोटिंग नहीं की। थॉमस ग्रीनफील्ड ने कहा, रूस ने युद्ध छेड़ा, हमला किया. उसने ही यूक्रेन में घुसपैठ की, यूक्रेन में लोगों पर अत्याचार का एकमात्र जिम्मेदार देश रूस है। अब रूस चाहता है कि हम उस प्रस्ताव को पास करें जो इनकी क्रूरता को भी स्वीकार ना करे। यह बेहद गैरजिम्मेदाराना कदम है।
चीन ने क्या कहा?
रूस के प्रस्ताव का एकमात्र समर्थक होने के नाते चीन ने कहा कि सुरक्षा परिषद को यूक्रेन में मानवीय स्थिति में अपनी भूमिका निभानी चाहिए। संयुक्त राष्ट्र में पीपुल्स रिपब्लिक आॅफ चाइना के स्थायी प्रतिनिधि झांग जून ने बीजिंग की छह-सूत्रीय पहल की ओर इशारा किया और सुरक्षा परिषद के सदस्यों से कहा कि पक्ष में वोट यूक्रेन में मानवीय स्थिति को प्राथमिकता देने के लिए अंतर्राष्ट्रीय समुदाय का आह्वान था।