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मोदी के यह पांच प्रण जो भारत को बनाएंगे विकसित, आइए जानते हैं उन पंच प्रणों के बारे में

नई दिल्ली। आज 15 अगस्त 2022 को भारत की आजादी की 75वीं वर्षगांठ मनाई जा रही है। इस खास मौके पर लाल किले से अपने संबोधन में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि अगले 25 साल देश के लिए काफी महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि हमे अगले 25 सालों तक पांच प्रण पर केन्द्रित करना होगा। प्रधानमंत्री ने इस मौके पर पांच प्रण शक्तियां गिनाईं। उन्होंने सबसे पहले प्रण के रूप में ‘विकसित भारत’ बनाने का संकल्प व्यक्त किया और देशवासियों से इसके लिए प्राण प्रण से जुटने का आह्वान किया।

लाल किले की प्राचीर में ध्वजारोहण के बाद प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में कहा कि आजादी के इतने दशकों के बाद पूरे विश्व का भारत की तरफ देखने का नजरिया बदल चुका है। समस्याओं का समाधान भारत की धरती पर दुनिया खोजने लगी है। विश्व का ये बदलाव, विश्व की सोच में ये परिवर्तन 75 साल की हमारी यात्रा का परिणाम है। उन्होंने कहा कि आने वाले 25 साल के लिए हमें ‘पांच प्रण’ पर अपनी शक्ति, संकल्पों और सामर्थ्य को केंद्रित करना होगा। अनुभव कहता है कि एक बार हम सब संकल्प लेकर चल पड़ें, तो हम निर्धारित लक्ष्यों को पार कर लेते हैं।

ये है पीएम मोदी के दिए पांच प्रण-

  • अब देश बड़े संकल्प लेकर चलेगा और वो बड़ा संकल्प है विकसित भारत और उससे कुछ कम नहीं होना चाहिए।
  • दूसरा प्रण है किसी भी कोने में हमारे मन के भीतर अगर गुलामी का एक भी अंश हो उसे किसी भी हालत में बचने नहीं देना है।
  • मोदी ने कहा कि हमें अपनी विरासत पर गर्व होना चाहिए। एकता और एकजुटता के साथ हमें देशहित में काम करना चाहिए।
  • चौथा प्रण एकता और एकजुटता है. एकता की ताकत है। देश के 130 करोड़ देशवासियों में एकता रहे। यह चौथा प्रण है।
  • पांचवां प्रण में नागरिकों के कर्तव्य है जिनमें राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और राज्यों के मुख्यमंत्री भी शामिल हैं।





पीएम ने देश के 130 करोड़ लोगों के सामने ये पंच प्रणों को देश की प्राणशक्ति करार देते हुए अगले 25 साल का खाका भी पेश किया। पीएम ने कहा कि सबसे पहला व बड़ा संकल्प है, विकसित भारत। दूसरा प्रण है किसी भी कोने में हमारे मन के भीतर गुलामी का एक भी अंश न बचा रहने देना। यदि जरा भी गुलामी है तो उसको किसी भी हालत में बचने नहीं देना है। सैकड़ों सालों की गुलामी ने जो हमें जकड़कर रखा है, हमें उससे मुक्ति पानी ही होगी।

तीसरे प्रण का जिक्र करते हुए पीएम ने कहा, ‘हमें हमारी विरासत पर गर्व होना चाहिए। यही विरासत जिसने कभी भारत का स्वर्णिम काल दिया था। इस विरासत के प्रति हमें गर्व होना चाहिए। चौथे प्रण ‘एकता और एकजुटता’ का आह्वान करते हुए पीएम मोदी ने कहा ‘130 करोड़ देशवासियों में एकता। न कोई अपना न कोई पराया। एकता की ताकत एक भारत श्रेष्ठ भारत के सपनों के लिए हमारा चौथा प्रण है।’ इसी तरह पांचवें प्रण के रूप में उन्होंने ‘नागरिकों के कर्तव्य’ का जिक्र किया।

पीएम मोदी ने कहा, ‘आज मैं लाल किले से 130 करोड़ लोगों को आह्वान करता हूं कि आने वाले 25 साल के लिए हमें पांच प्रण पर अपने संकल्पों को केंद्रित करना होगा। हमें पंच प्रण को लेकर 2047 जब आजादी के 100 साल होंगे, आजादी के दीवानों के सारे सपने पूरे करने का जिम्मा उठाकर चलना होगा। बहुत बड़े संकल्प लेकर चलना होगा।

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