क्वाड समिट पर बौखलाया चीन: बोला- संकीर्ण गठबंधन का खड़े होना समय के खिलाफ, नहीं मिलेगा समर्थन
नई दिल्ली। तीन दिवसीय दौरे पर अमेरिका गए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) कल अमेरिकी उपराष्ट्रपति कमला हैरिस (US Vice President Kamala Harris) से मुलाकात करने के बाद आज राष्ट्रपति जो बाइडेन (President Joe Biden) से मुलाकात करेंगे। दोनों नेताओं के बीच यह बैठक आज रात 8.30 बजे होगी। यह मुलाकात कई मायनों में बहुत ही महत्वपूर्ण मानी जा रही है। व्हाइट हाउस (White House) में होने वाली इस बैठक में पूरी दुनिया की नजर भी टिकी है। इससे पहले अमेरिका में होने वाली क्वाड समिट (quad summit) को लेकर चीन बौखला गया है।
चीनी विदेश प्रवक्ता झाओ लिजियान (Chinese Foreign Spokesperson Zhao Lijian) ने आज कहा कि ने कहा कि इस तरह के विशेष संकीर्ण गठबंधन (special narrow alliance) का खड़े होना मौजूदा समय के चलन के खिलाफ है और इसे कहीं से भी समर्थन नहीं हासिल होगा। बता दें कि अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन के न्योते पर क्वाड समिट में भारत (India), जापान (Japan) और आस्ट्रेलिया (Australia) जैसे देश शामिल होंगे। जिस पर बौखलाए चीन ने कहा कि इस विशिष्ट बंद समूह का गठन मौजूदा समय के खिलाफ है और इसे कोई समर्थन नहीं मिलेगा। क्वाड देशों के नेताओं की आमने-सामने होने वाली यह पहली बैठक है।
एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में जब झाओ लिजियान से क्वाड समिट के उद्देश्य को लेकर सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि क्वाड समूह को किसी तीसरे देश और उसके हितों को निशाना नहीं बनाना चाहिए। झाओ ने कहा, हमारा मानना है कि क्षेत्रीय सहयोग व्यवस्था में किसी भी तीसरे पक्ष और उसके हितों को निशाना नहीं बनाया जाना चाहिए।
उन्होंने कहा, चीन हमेशा मानता है कि किसी भी क्षेत्रीय सहयोग तंत्र को किसी तीसरे पक्ष को टारगेट नहीं करना चाहिए या उसके हितों को नुकसान नहीं पहुंचाना चाहिए। किसी तीसरे देश के खिलाफ विशिष्ट बंद समूह का गठन मौजूदा समय की प्रवृत्ति और क्षेत्र के देशों की आकांक्षा के खिलाफ है। इसे कोई समर्थन नहीं मिलेगा।
दक्षिण चीन सागर (South China Sea) में चीनी दावों का बचाव करते हुए प्रवक्ता ने कहा, चीन विश्व शांति का निमार्ता, वैश्विक विकास में योगदानकर्ता और विश्व व्यवस्था को कायम रखने वाला है। उन्होंने कहा, चीन के विकास का मतलब है -दुनिया में शांति और स्थिरता के लिए विकास तथा इसलिए सभी को एशिया प्रशांत में शांति, स्थिरता और विकास में चीन का योगदान देखना है… प्रासंगिक देशों को और अधिक ऐसे कार्य करने चाहिए जो इस क्षेत्र के चार देशों के साथ एकजुटता और सहयोग के लिहाज से अनुकूल हो।