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MVA  में पड़ने लगी दरार: स्वाभिमानी किसान संगठन ने उद्धव सरकार से तोड़ा नाता, सरकार पर नहीं पड़ेगा असर

मुंबई। महाराष्ट्र के बड़े किसान नेता और पूर्व सांसद राजू शेट्टी ने केन्द्रीय जांच एजेंसियों के डंडे से परेशान महा विकास आघाडी को बड़ा झटका दिया है। उन्होंने अपने स्वाभिमानी शेतकरी संघटना (स्वाभिमानी किसान संगठन) का नाता आघाडी सरकार से तोड़ लिया है. यानी राजू शेट्टी के इस फैसले के बाद स्वाभिमानी शेतकरी संघटना महा विकास आघाडी से बाहर आ गई है। राजू शेट्टी ने मंगलवार को पार्टी के पदाधिकारियों के साथ दिन भर के विचार-विमर्श के बाद इसकी घोषणा की।

महा विकास आघाडी से बाहर आने के फैसले के बाद उन्होंने राज्यपाल को भेजी गई नामांकित विधायकों की सूची में से अपना नाम हटाने का भी फैसला किया है. एमएलसी की सूची से अपना नाम हटाने की मांग को लेकर वे राज्यपाल से मिलने वाले हैं। शेट्टी ने कहा कि अब से स्वाभिमानी पक्ष और एमवीए के बीच किसी प्रकार का कोई संबंध नहीं है। एक रिपोर्ट के मुताबिक, शेट्टी ने हाल ही में अपनी पार्टी के एकमात्र विधायक देवेंद्र भुयार को संगठन से निष्कासित कर दिया था। उन्होंने कहा था कि 2019 के चुनावों के परिणाम के बाद से, भुयार राकांपा नेताओं के साथ मिल रहे थे और उन्हें स्वाभिमानी पक्ष के मंच पर कभी नहीं देखा गया था।

पार्टी अधिवेशन में बोलते हुए शेट्टी ने कहा, किसानों का हित एमवीए द्वारा तय किए गए न्यूनतम साझा कार्यक्रम का केंद्र बिंदु था। मेरी पार्टी भी इसका हिस्सा थी। हालांकि, पिछले ढाई वर्षों में, हमें बाढ़ के नुकसान के लिए उचित मुआवजे की मांग के लिए राज्य सरकार के खिलाफ विरोध करना पड़ा। हमें किसानों को भूमि अधिग्रहण मुआवजे को कम करने के सरकार के फैसले का विरोध करना पड़ा।





उन्होंने दावा किया कि हर मुद्दे पर एमवीए सरकार ने किसानों को धोखा दिया है। उन्होंने कहा, इसलिए, मैं एमवीए के साथ सभी संबंधों को तोड़ने की घोषणा करता हूं। इसके बाद, हम खेतों का दौरा करेंगे, किसानों से मिलेंगे और उन्हें अपनी स्थिति बताएंगे। हालांकि राजू शेट्टी के इस फैसले से महा विकास आघाडी की सरकार की स्थिरता पर तो कोई असर नहीं पड़ेगा लेकिन जनता के मन में एक पर्सेप्शन बनाने में और मनोवैज्ञानिक प्रभाव डालने में यह फैसला जरूर काम आएगा। किसानों को ऐसा लग सकता है कि महा विकास आघाडी में उनकी पूछ नहीं है।

शेट्टी ने जिला परिषद सदस्य के रूप में अपनी राजनीतिक यात्रा शुरू की थी और दो बार सांसद बने थे। वह उन 12 व्यक्तियों में शामिल हैं, जिन्हें राज्यपाल के कोटे के तहत विधायक बनने की सिफारिश की गई। शेट्टी ने कहा, मैं राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी से मेरा नाम सूची से हटाने के लिए कहूंगा। 3 अप्रैल को कोल्हापुर की अपनी यात्रा के दौरान, राकांपा प्रमुख शरद पवार ने कहा था कि गठबंधन से छोटे संगठनों की चिंताओं को देखना उनकी जिम्मेदारी है।

दरअसल जिस वक्त महाराष्ट्र में बीजेपी और शिवसेना की सरकार थी उस वक्त राजू शेट्टी फडणवीस सरकार में थे। लेकिन 2019 में जब महा विकास आघाडी की सरकार बनी तो वे बीजेपी को छोड़ गए, उनके जोड़ीदार सदाभाऊ खोत बीजेपी के साथ रह गए थे। अब राजू शेट्टी का महा विकाश आघाडी से मोह भंग हो चुका है और वे गठबंधन से बाहर आ चुके हैं।

राजू शेट्टी का धैर्य आखिर जवाब दे गया
जब राजू शेट्टी महा विकास आघाडी के साथ गए थे तब सदा भाऊ खोत ने यह आरोप लगाया था कि वे एमएलसी बनने के लिए महा विकास आघाडी में जा रहे हैं। अगर इस बात को सही भी मान लिया जाए तो ढाई साल हो गए, आघाडी सरकार में वे विधायक नहीं बन पाए. राज्यपाल आघाडी सरकार की एमएलसी के नामों की सूची से संबंधित फाइल पर दस्तखत करें तभी कोई विधायक बन सकता है। ऐसे में पहले ही ढाई साल निकल चुके हैं। राजू शेट्टी का धैर्य जवाब दे गया है।

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