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दुखद: देश के दिग्गज अर्थशास्त्री रहे अभिजीत सेन का निधन, देर रात पड़ा था दिल का दौरा

नई दिल्ली। भारत के दिग्गज अर्थशास्त्री और योजना आयोग के पूर्व सदस्य अभिजीत सेन का दिल का दौरा पड़ने के कारण निधन हो गया है। वह 70 साल के थे। अभिजीत सेन के भाई प्रनब सेन ने बताया की उन्हें सोमवार की रात दिल का दौरा पड़ा था, जिसके उन्हें अस्पताल ले जाया गया लेकिन तब तक उनकी मौत हो चुकी थी। अभिजीत सेन ग्रामीण अर्थव्यवस्था के विशेषज्ञ माने जाते थे।

चार दशक से अधिक के अपने करियर में अभिजीत सेन ने नई दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में अर्थशास्त्र पढ़ाया और कईं महत्वपूर्ण सरकारी पदों पर रहे। वे कृषि लागत और मूल्य आयोग के अध्यक्ष भी रह चुके हैं। सेन 2004 से 2014 तक योजना आयोग के सदस्य थे। उस वक्त मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री थे।





पद्म भूषण से भी सम्मानित
सेन को 2010 में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था. 2014 में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के सत्ता में आने पर उसने सेन को दीर्घकालिक अनाज नीति बनाने के वास्ते एक उच्च स्तरीय कार्यबल के प्रमुख का पद सौंपा। सेन गेंहू और चावल के लिए सार्वभौमिक जन वितरण प्रणाली के घोर समर्थक थे। उनका तर्क था कि खाद्य पदार्थों पर दी जाने वाली रियायतों से राजकोष पर पड़ने वाले बोझ को बढ़ा-चढ़ा कर पेश किया जाता है। जबकि देश के पास न सिर्फ सार्वभौमिक जन वितरण प्रणाली को सहयोग देने के लिए बल्कि किसानों को उनके उत्पाद के उचित मूल्य की गारंटी देने के लिए भी पर्याप्त वित्तीय संभावनाएं हैं।

बंगाली परिवार में हुआ था जन्म
अभिजीत सेन का जन्म नई दिल्ली में रहने वाले एक बंगाली परिवार में हुआ था। उन्होंने सेंट स्टीफंस कॉलेज से भौतिकी में स्नातक किया था। इसके बाद 1981 में उन्होंने कैंब्रिज विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में पीएचडी की। यहां वे ट्रिनिटी हॉल के सदस्य भी रहे। ग्रामीण अर्थव्यवस्था में सुधार लाने के लिए उन्होंने कई महत्वपूर्ण काम किए। 1997 मे संयुक्त मोर्चा सरकार में उन्हें कृषि लागत और मूल्य आयोग का अध्यक्ष नियुक्त किया गया। उन्होंने कृषि वस्तुओं के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की सिफारिश की थी। बाद में उन्हें राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन सरकार ने दीर्घकालिक अनाज नीति पर विशेषज्ञों की उच्च-स्तरीय समिति का अध्यक्ष बनाया।

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