भारत की धरती पर लौट आए चीते, मोदी ने नामीबिया के चीतों को कूनो का कराया दीदार
श्योपुर। भारत में चीतों का इंतजार खत्म हो चुका है। करीब 11 घंटे का सफर करने के बाद 8 चीते मध्यप्रदेश के कूनो नेशनल पार्क पहुंच चुके हैं। इसके साथ ही अपने जन्मदिन के खास पर मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लीवर खींचकर तीन चीतों को कूनो नेशनल पार्क के बाड़े में विचरण करने के लिए छोड़ दिया है। चीतों को पिंजरे से आजाद करने के बाद पीएम मोदी फोटोग्राफी भी करते नजर जाए। इस दौरान उनके साथ मप्र के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी मौजूद थे। नामीबिया से आए आठ चीतों को एक महीने तक में क्वारंटाइन रखा जाएगा। इसके बाद इन्हें जंगल में छोड़ दिया जाएगा।
बता दें कि पांच मादा और तीन नर चीतों को लेकर विमान ने नामीबिया से उड़ान भरी थी। नामीबिया से भारत लाने के लिए विमान में विशेष माप वाले पिंजरे बनाए गए थे। करीब 11 घंटे की यात्रा करके ये चीते शनिवार सुबह ग्वालियर में उतरे। ग्वालियर से इन्हें विशेष चिनूक हेलीकॉप्टर से मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क ले जाया गया। जिसके बाद पीएम मोदी ने पिंजरे का लीवर खींचकर उन्हें कूनो के बाड़े में छोड़ा।
भारत की प्रकृति प्रेम की शक्ति से हुई जागृत: मोदी
चीतों को बाड़े में छोड़ने के बाद लोगों को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि आज भारत की धरती पर चीता लौट आए हैं। इन चीतों के साथ भारत की प्रकृति प्रेम की शक्ति भी पूरी तरह जागृत हो गई है। मैं इस मौके पर भारतवासियों को धन्यवाद देता हूं। मैं नामीबिया सरकार का भी धन्यवाद करता हूं जिनकी वजह से दशकों बाद चीते भारत लौट आए हैं। जब हम अपनी जड़ों से दूर होते हैं तो बहुत कुछ खो बैठते हैं। पिछली सदियों में हमने वो समय देखा है जब प्रकृति के दोहन को शक्ति प्रदर्शन और आधुनिकता का प्रतीक मान लिया गया था।
वन विभाग की टीम करेगी पेट्रोलिंग
चीता मित्र गांव-गांव घूमकर लोगों को चीते के बारे में जानकारी दे रहे हैं। उन्हें बताया जा रहा है कि अगर चीता नेशनल पार्क से बाहर निकल जाता है तो इस स्थिति में उन्हें क्या करना चाहिए। चीता मित्रों के अलावा वन विभाग की टीन पार्क की लगातार पेट्रोलिंग करेगी।
23 फी लंबी लगाता है छलांग
चीता एक मिनट में अपने शिकार का काम तमाम कर देता है। अपनी टॉप स्पीड में यह 23 फीट लंबी छलांग लगाता है। तेंदुओं की तुलना में चीता सबसे ज्यादा शक्तिशाली और फुर्तीलां होता है।
1947 के बाद विलुप्त हो गए थे चीते
1947 में छत्तीसगढ़ के कोरिया जिले में आखिरी चीते को मार दिया गया था। महाराजा रामानुज प्रताप ने गांव वालों की गुहार पर तीन चीतों को मार दिया था। इसके बाद भारत में चीतों को नहीं देखा गया। जानकारी के अनुसार महाराज रामानुज प्रताप सिंहदेव शिकार के बेहद शौकीन थे।