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यूपी में नाराज ब्राम्हणों को मनाने भाजपा ने तैयार किया यह बड़ा प्लान, इनको दी गई है जिम्मेदारी

लखनऊ/नई दिल्ली। उत्तरप्रदेश (Uttar Pradesh) में विधानसभा चुनाव (Assembly elections) से पहले हर समाज को लुभाने में जुटी भाजपा अब ब्राम्हणों (brahmins) को साधने की कवायद में जुट गई है। जिसको लेकर कल रविवार को यूपी के भाजपा के प्रभारी (UP BJP in-charge) धर्मेन्द्र प्रधान (Dharmendra Pradhan) के दिल्ली आवास पर बड़ी बैठक भी हुई थी। वहीं आज यूपी के कुछ नेताओं ने भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा (BJP National President JP Nadda) से मुलाकात की है। नड्डा से उन नेताओं ने मुलाकात की है जिनका ब्राम्हण समाज (brahmin society) पर अच्छा प्रभाव माना जाता है। इस दौरान नड्डा ने भाजपा नेताओं से ब्राम्हण समाज की नाराजगी को दूर करने बनाई रणनीति पर भी चर्चा की गई।

बैठक के दौरान एक कमेटी भी बनाई गई है जो ब्राम्ण समाज की नाराजगी दूर करने के साथ ही समाज को पार्टी से जोड़ने का भी काम करेगी। जेपी नड्डा से मुलाकात करने पहुंचे नेताओं में पार्टी के सांसद शिव प्रताप शुक्ला, नोएडा से सांसद डॉ. महेश शर्मा, योगी सरकार में मंत्री ब्रजेश पाठक, श्रीकांत शर्मा, आनंद स्वरूप शुक्ला, सतीश द्विवेदी, सत्यदेव पचौरी, रमापति राम त्रिपाठी, लक्ष्मीकांत वाजपेयी, रीता बहुगुणा जोशी, जितिन प्रसाद, अनिल शर्मा जैसे नेता शामिल हैं।

बैठक में बताया गया कि बीजेपी सरकार ने ब्राम्हण वर्ग के लिए कई काम किए हैं और उन्हें लोगों को तक पहुंचाने का प्लान बनाया गया है। ऐसे में चुनाव से पहले सूबे की सभी विधानसभाओं के प्रतिष्ठित ब्राम्हण समाज के यहां जाकर बीजेपी के नेता उनका सम्मान करेंगे। इस दौरान उन्हें बताया जाएगा कि केंद्र सरकार और प्रदेश सरकार की बीजेपी सरकार ने सामान्य वर्ग के लिए खासकर ब्राम्हण समाज के लिए क्या क्या कदम उठाए हैं। ब्राम्हणों को साधने के लिए बनाई गई कमेटी में शिवपाल शुक्ल, अभिजात मिश्रा, बृजेश पाठक, अशोक बाजपेयी और अजय मिश्रा उर्फ टेनी को शामिल किया गया है।





बता दें कि केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने बैठक में सूबे के ब्राम्हण नेताओं से फीडबैक लिया, जिसमें कई तरह की बातें सामने आई हैं। बैठक में पूर्वांचल के इलाके में ब्राम्हण की उपेक्षाओं का मुद्दा उठा तो कानपुर के इलाके के नेताओं ने खुशी दुबे के साथ किए व्यवहार को लेकर नाराजगी जाहिर की गई। इतना ही नहीं ब्राम्हण वर्ग के लिए उत्तर प्रदेश सरकार में कोई विशेष काम नहीं किए जाने की बात रखी गई।

सपा के प्रबुद्ध सम्मेलनों ने भी बढ़ाई है पार्टी की चिंता
बसपा (BSP) ने तो पार्टी के महासचिव सतीश चंद्र मिश्र (Satish Chandra Mishra) को आगे कर ही रखा है। इसके अलावा कांग्रेस भी ब्राम्हणों को लुभाने के प्रयास करती रही है। ऐसे में भाजपा दशकों से कोर वोट बैंक रहे इस समुदाय को अपने से छिटकने से रोकने के लिए हर संभव प्रयास करना चाहती है। यही वजह है कि उसके पश्चिम से लेकर अवध और पूर्वांचल के तक के ब्राम्हण नेताओं को बुलाकर रणनीति बनाने का फैसला लिया है। दरअसल पार्टी ब्राम्हणों के कार्यक्रमों में समुदाय के नेताओं को ही भेजना चाहती है। यही नहीं इसके लिए क्षेत्रवार रणनीति तैयार की जा रही है ताकि स्थानीय स्तर पर बिरादरी को जोड़ा जा सके।

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