जितनी जगह में नवीन का शव आएगा, उतनी जगह में आ सकते हैं 10-12 लोग: कर्नाटक के भाजपा विधायक का बेतुका बयान
बेंगलुरु। यूक्रेन में एक मार्च को गोलाबारी में जान गंवाने वाले नवीन शेखरप्पा ज्ञानगौदर का शव वापस लाने को लेकर कर्नाटक के भाजपा विधायक अरविंद बेल्लाड ने बेतुका बयान दिया है। उनका कहना है कि हवाई जहाज में जितनी जगह में नवीन का शव लाया जाएगा, उस जगह का इस्तेमाल युद्ध ग्रस्त देश में फंसे 10-12 लोगों को निकालने के लिए किया जा सकता है।
बेल्लाड ने ज़ोर देकर कहा कि जिस स्थान पर शव रखा है, वह एक युद्ध क्षेत्र है और मौजूदा परिस्थितियों में शव वापस भारत लाना मुश्किल है। हालांकि हुबली धारवाड़ पश्चिम से विधायक ने कहा कि भारत सरकार के साथ-साथ कर्नाटक सरकार यूक्रेन के खारकीव से नवीन के पार्थिव देह को लाने के लिए हर संभव कोशिश कर रही है।
बता दें कि बेल्लाड ने यह बयान कल बुधवार को दिया था। उन्होंने बातचीत के दौरान कहा कि आप सभी चैनलों के माध्यम से यूक्रेन की जमीनी हालात को टीवी चैनलों के माध्यम से देख रहे हैं। पार्थिव शरीर को उड़ान सेवाएं शुरू होने के बाद लाया जाएगा। उन्होंने कहा कि जब जीवित लोगों को लाना मुश्किल साबित हो रहा है तब शव लाना और भी मुश्किल होगा क्योंकि यह अधिक जगह घेरेगा। इनती जगह में 10 से 12 लोगों को लाया जा सकता है।
सत्तारूढ़ दल के विधायक ने यह भी कहा कि छात्र भारत में मोटी फीस के कारण विदेश में मेडिकल डिग्री प्राप्त करने के अपने सपने को साकर करने के लिए पलायन करते हैं। ज्ञात हो कि कर्नाटक के हावेरी जिले के चालगेरी के रहने वाले 22 वर्षीय नवीन खारकीव में अन्य लोगों के साथ एक बंकर में थे। वह एक मार्च को खाने-पीने का सामान लेने और मुद्रा बदलवाने के लिए बंकर से बाहर निकले थे और गोलाबारी की चपेट में आने से उनकी मौत हो गई थी।
उनका पार्थिव शरीर खारकीव के शवगृह में रखा है। उनके माता-पिता ने केंद्र सरकार से आग्रह किया है कि अंतिम संस्कार के लिए उनके बेटे की पार्थिव देह स्वदेश वापस लायी जाए। इस बीच चालगेरी के वेंकटेश वैश्यार ने कहा कि उनका 23 वर्षीय बेटा और 24 वर्षीय भतीजा सुमन यूक्रेन में हैं और उन्हें खारकीव से करीब 20 किलोमीटर दूर एक स्कूल में रखा गया है जहां तकरीबन 1700 अन्य भारतीय हैं। उन्होंने कहा कि अमित और सुमन सुरक्षित क्षेत्र में जाने के लिए ट्रेन में नहीं चढ़ सके, क्योंकि यूक्रेन के अधिकारियों ने महिलाओं और अपने देश के नागरिकों को प्राथमिकता दी।