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बीरभूम नरसंहार की जांच SIT नहीं, अब करेगी CBI, कलकत्ता हाईकोर्ट के इस फैसले से लगा ममता को बड़ा झटका

कोलकाता। पश्चिम बंगाल में टीएमसी नेता की हत्या के एक दिन बाद बीरभूम में 22 मार्च को घरों में आग लगाकर 10 लोगों को जिंदा जला दिया गया था। अब इस मामले की जांच सीबीआई करेगी। यह आदेश कलकत्ता हाई कोर्ट ने दिया है। साथ ही हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को रामपुरहाट हिंसा पर स्थिति रिपोर्ट प्रस्तुत करने को कहा है। कलकत्ता हाईकोर्ट ने शुक्रवार को इस मामले की सुनवाई करते हुए राज्य सरकार की उस मांग को ठुकरा दिया, जिसमें मामले की जांच बंगाल पुलिस से ही कराने की बात कही गई थी। यह फैसला ममता के लिए बड़े झटके के रूप में देखा जा रहा है।

कोर्ट ने बंगाल के एडवोकेट जनरल (एजी) से कहा कि हमें अपने आदेश को रोकने के पीछे कोई वजह नजर नहीं आती। इसलिए आपकी मांग ठुकराई जाती है। इसी के साथ कोर्ट ने सीबीआई को आदेश दिया कि वह मामले की जांच रिपोर्ट सात अप्रैल तक कोर्ट को सौंपे। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने यह भी कहा कि सबूतों और घटना का असर बताता है कि राज्य की पुलिस इसकी जांच नहीं कर सकती। हालांकि इससे पहले बीरभूम हिंसा में कोलकाता हाईकोर्ट ने भी स्वत: संज्ञान लेते हुए सुनवाई की थी। हाईकोर्ट ने पहले खुद सीबीआई जांच की मांग को नकार दिया था और कहा था जांच का पहला मौका राज्य को दिया जाना चाहिए।




बता दें कि बीरभूम जिले के रामपुरहाट में टीएमसी नेता की हत्या के बाद हिंसा भड़क गई थी। यहां कई घरों को आग के हवाले कर दिया गया था। आग से जलकर 2 बच्चों समेत 8 लोगों की मौत हो गई थी। इसमें 3 महिलाएं भी शामिल थीं। इस मामले में अब तक 20 लोगों की गिरफ्तारी हुई है। दरअसल इस मामले में जनहित याचिका दायर कर केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) या राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) से जांच की मांग की गई थी। इसके अलावा अदालत ने भी इस मामले का संज्ञान लिया था। गुरुवार को कोर्ट ने इस केस में सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया।

केंद्रीय एजेंसियों द्वारा जांच की मांग का बंगाल सरकार कर रही थी विरोध
सीएम ममता बनर्जी की सरकार ने सीबीआई या एनआईए जांच के अनुरोध का विरोध करते हुए कहा कि पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा गठित एक विशेष जांच दल (एसआईटी) जांच कर रहा है। उसे समय दिया जाना चाहिए। हालांकि, दो दिन तक सभी पक्षों को सुनने के बाद मुख्य न्यायाधीश प्रकाश श्रीवास्तव और न्यायमूर्ति आर भारद्वाज की खंडपीठ ने कहा कि वह दलीलों पर विचार के बाद आदेश पारित करेगी। अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल वाईजे दस्तूर ने कहा कि सीबीआई या एनआईए जांच शुरू करने के लिए तैयार हैं यदि उच्च न्यायालय इस आशय का आदेश पारित करता है।

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