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बड़ी लापरवाही: जिस बस को आतंकियों ने किया टारगेट वह नहीं थी बुलेट प्रूफ, जवानों के पास भी नहीं थे हथियार

नई दिल्ली। घाटी में लगातार आतंकियों को खत्म करने का सेना का आपरेशन जारी है। सेना की कार्रवाई (military action) से बौखलाए आतंकियों (furious terrorists) ने सोमवार को बड़े आतंकी हमले (major terrorist attacks) को अंजाम दिया है। आर-पार की लड़ाई में मुंह की खाने के बाद अब दहशतगर्दों ने छुपकर हमला किया है। इस आतंकी हमले में 11 जवान घायल हुए है, तीन जवान शहीद (three soldiers martyred) हो गए हैं। आतंकी हमले के बाद से दिल्ली गृहमंत्रालय (Delhi Home Ministry) लगातार जम्मू-कश्मीर प्रशासन (Jammu and Kashmir Administration) के संपर्क में है और घटना को काफी गंभीर भी माना जा रहा है। पर सबसे खास बात यह है कि जिस बस में जवान से थे, वह बस बुलेट प्रूफ (bullet proof) नहीं और बताया यह भी जा रहा है कि जवानों के पास हथियार (weapons with soldiers) भी नहीं थे।

सूत्रों का कहना है कि जिस तरह के हालात हैं उसमें किन सुरक्षा मानकों की चूक हुई है उनपर भी ध्यान दिया जाएगा। क्योंकि पिछले दिनों टारगेट किलिंग (target killing) में निर्दोष नागरिकों को निशाना बनाए जाने के बाद पुलिस बल पर इस तरह की हमला एक चेतावनी है। वहीं इस कायराना हरकत (cowardly act) को अंजाम देने वाले दहशतगर्द विदेशी हैं या स्थानीय, इसकी जांच की जा रही है। सारे पहलुओं को ध्यान में रखते हुए फिलहाल सुरक्षा बलों को साफ निर्देश हैं कि हमलावर किसी भी सूरत में बचने न पाए। फिलहाल गृह मंत्रालय पूरी जानकारी हासिल कर रहा है।





हमले से पहले की गई थी व्यापक रेकी
अधिकारियों ने कहा कि घटना में हाइब्रिड आतंकियों के शामिल होने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है। जिस तरह से हमला हुआ है उससे साफ है कि हमले के पहले व्यापक स्तर पर रेकी की गई होगी। आतंकियों को इस बात की जानकारी जरूर रही होगी कि जिस गाड़ी पर सशस्त्र पुलिस बल के जवान जा रहे हैं वह बुलेटप्रूफ नहीं है।

नए टारगेट और नए तरीके अपना रहे आतंकी
आतंकी लगातार नए टारगेट (new targets) और नए तरीके अपना रहे हैं। ऐसे युवाओं को आतंकी गतिविधियों के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है जिनका पहले आतंक से नाता नहीं रहा है। ऐसे युवा किसी आतंकी गुट में शामिल नहीं होते। उन्हें आतंकी गतिविधि के लिए हथियार व पैसा दिया जाता है। वे हमलों को अंजाम देने के बाद फिर से मुख्यधारा में लौटकर आम लोगों से घुलमिल जाते हैं। इनकी पहचान करना मुश्किल होता है।

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