नज़रिया

यह शिवराज के लिए बड़ी चुनौती 

शुभांग गोटिया (shubhang gotia) अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) में मामूली पदाधिकारी रह चुका है। बलात्कार का आरोपी (accused of rape) है। वह इस लायक नहीं है कि उसे लेखन का विषय बनाया जाए। लेकिन लिखना नितांत आवश्यक हो गया है। अपने भीतर विष बनकर फैलते भावों को बाहर करने के लिए यह प्रक्रिया अवश्यंभावी हो गयी है। क्या यह बात स्वस्थ विचार प्रक्रिया को झुलसा नहीं देती कि rape के किसी आरोपी को जमानत मिलने पर शहर में ‘भैया इज बैक (Bhaiya is back)’ के सम्मान सूचक वाक्य के साथ  उसका स्वागत किया जाए! संस्कारधानी जबलपुर (Sanskardhani Jabalpur) में कुसंस्कार का ये नंगा नाच हाल ही में हुआ। इस बात की पूरी संभावना है कि गोटिया के इशारे पर ही उसके गुर्गों ने इस तरह के पोस्टर (posters) से जबलपुर के सार्वजनिक स्थानों को पाट दिया होगा। स्वागत और उसका जुनून ऐसा गोया कि गोटिया महाशय ने भारत रत्न (Bharat Ratna) पाने जैसा कोई महान काम कर दिखाया हो। फिर यह देखकर तो राज्य की जीवनदायिनी मां नर्मदा नदी (jivanadayini man narmada nadi) का आंचल भी शर्म से मैला हो गया होगा कि रेप के आरोपी के ऐसे बैनर और होर्डिंग (bainar And hording) नर्मदा जयंती की बधाई के साथ लगाए गए थे। इन पर कहीं-कहीं गोटिया के लिए ‘जानेमन की भूमिका में आपका स्वागत है’ भी लिखा गया था।’अनाचार की जय जयकार’ जैसी यह जुर्रत गोटिया को भारी पड़ गयी। पीड़िता की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme court) ने गोटिया को मध्यप्रदेश हाई कोर्ट से मिली जमानत खारिज (Bail granted by Madhya Pradesh High Court rejected) कर दी। कोर्ट ने इस मामले में मध्यप्रदेश सरकार (Madhya Pradesh Government) से भी जवाब मांगा है। अदालत ने तीखी नाराजगी जताते हुए पूछा, ‘भैया इज बैक का बैनर क्यों है? क्या आप जश्न मना रहे हैं?’ अदालत ने साफ़ माना कि इस तरह के पोस्टर/ बैनर और सोशल मीडिया (social media) पर डाली गयी पोस्ट से रेप के आरोपी और उसके परिवार की ताकत का पीड़ित पक्ष पर हानिकारक प्रभाव स्पष्ट होताहै।

कमाल  है कि जो बात दिल्ली में बैठे जजों को दिख गयी, वह मध्यप्रदेश में सरकार और भाजपा संगठन (BJP Organization) , दोनों को ही नहीं दिख सकी। वरना यह भला कैसा संभव होता कि BJP से जुड़ा कोई शख्स इतने गंभीर आरोप के बाद भी ऐसा निर्लज्ज और गैंगस्टर सरीखा आचरण करे और पार्टी के कर्ता-धर्ता टुकुर-टुकुर देखते रहें। और यदि वाकई ऐसा ही हुआ है तो फिर यह बुलडोजर (bulldozer) वाले शिवराज सिंह चौहान (Shivraj Singh Chauhan) तथा डॉ. नरोत्तम मिश्रा (Dr. Narottam Mishra) और प्रदेश भाजपा अध्यक्ष वीडी शर्मा (State BJP President VD Sharma) के लिए बहुत बड़ा झटका होना चाहिए। क्योंकि गलत करने वालों को जमीन में गाड़ देने की बात करने वाली सरकार के संगठन से जुड़े किसी व्यक्ति को ही यदि इस तरह प्रश्रय मिलेगा तो भला यह बात कैसे गले के नीचे उतारी जा सकती है?

प्रदेश में हाल ही में रेप सहित हत्या के आरोप साबित होने से पहले ही सरकार ने आरोपियों की संपत्ति जब्त करने सहित उसे ढहा देने की कार्यवाही की है। तो फिर गोटिया इस सबसे कैसे बच गया? इस सवाल के चलते यह एक मामला शिवराज सिंह सरकार (shivraj singh government) और भाजपा संगठन की छवि के लिए किसी कलंक की चुनौती पेश कर रहा है। क्योंकि यह उस आरोपी का मामला है, जो BJP से जुड़ा है और इस समय उसकी कुख्याति ‘फरार रह चुके इनामी रेपिस्ट एबीवीपी नेता’ ( Rapist ABVP Leader) वाली हो चुकी है। इसलिए इस मामले में सख्त कदम उठाकर शिवराज सिंह चौहान यह स्पष्ट सन्देश दे सकते हैं कि उनकी बुलडोजर वाली नीति किसी वर्ग के विरोध या किसी के पक्ष में न होते हुए सभी के लिए एक समान है। ‘भैया जी  इज बैक’ महज एक बैनर या होर्डिंग नहीं रह गया है।  यह प्रदेश सरकार और भाजपा संगठन के लिए बहुत बड़ी चुनौती है कि वह ऐसे अमर्यादित आचरण के खिलाफ कुछ कर भी पाएंगे या नहीं।

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