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रूस की चिंता वाजिब पर युद्ध का तरीका गलत, अगर चीन भी भारत के ऐसा व्यवहकार करे तो नहीं होगा आश्चर्य: बातचीत में बोले सिन्हा

नयी दिल्ली। रूस और यूक्रेन के बीच जारी युद्ध के बीच अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में वित्त और विदेश मंत्री रहे यशवंत सिन्हा ने एक साक्षात्कार के दौरान बड़ा बयान दिया। सिन्हा ने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की तुलना उस ड्राइवर से की है जो किसी दुर्घटना की चिंता किए बगैर फर्राटे से अपनी कार किसी चौराहे पर भी दौड़ा दे। उन्होंने कहा कि कल अगर चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग भी इस तरह का आचरण करें तो उन्हें कोई आश्चर्य नहीं होगा।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हर समय आलोचना करने वाले भाजपा के पूर्व नेता ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद और अन्य मंचों पर मतदान से दूर रहने के भारत के फैसले से एक संदेश यह भी गया है कि वह गलत काम में रूस का साथ दे रहा है। उन्होंने आगे कहा कि भारत को इस बात के लिए तैयार रहना चाहिए कि अगर पाकिस्तान या चीन के साथ उसका संघर्ष होता है तो वह अकेला है और उसे स्वयं ही अपनी सुरक्षा करनी होगी।

साक्षात्कार के दौरान सिन्हा ने यह भी कहा कि अपनी सुरक्षा को लेकर रूस की चिंता वाजिब थी लेकिन युद्ध का उसका तरीका गलत और अंतरराष्ट्रीय कानूनों के विपरीत है। उनके मुताबिक, यूक्रेन और रूस के बीच युद्ध शुरू होने के साथ ही भारत को रूस से बात करनी चाहिए थी और वार्ता के जरिए मुद्दे का हल निकालने के लिए उसे दोनों देशों पर दबाव बना चाहिए था।

उन्होंने कहा, रूस से हमारी बहुत पुरानी दोस्ती है। वह हर मौके पर भारत के काम आया है। वह हमारा बहुत ही बहुमूल्य दोस्त है, इसमें कोई शक नहीं है। लेकिन बहुत नजदीकी दोस्त भी अगर गलती करता है तो दोस्त के नाते हमारा हक बनता है कि हम उसको कहें कि भाई यह गलती मत करो। उन्होंने कहा, हालांकि अभी तक ऐसा कोई सबूत सामने नहीं आया है कि भारत सरकार ने ऐसा कुछ किया है।

भारतीय विदेश मंत्री जाना चाहिए था रूस
संघर्ष शुरू होने के तुरंत बाद हमारे विदेश मंत्री को वहां जाना चाहिए था और कोशिश करनी चाहिए थी कि पुतिन की मोदी से बात कराएं लेकिन ऐसी कोई पहल भारत की ओर से नहीं हुई। सिन्हा ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद और अन्य मंचों पर भारत मतदान से दूर रहा तथा इससे ऐसा लगता है जैसे गलत काम में भारत रूस का साथ दे रहा है।

उन्होंने कहा, यह जो स्थिति है, इससे बचा जा सकता था। सिन्हा ने कहा कि उनका मानना है कि वह चाहे अमेरिका हो या यूरोप, पश्चिमी देशों का नेतृत्व कमजोर हो गया और कहीं न कहीं पुतिन को यह एहसास था कि वह अगर किसी तरह का जोखिम भरा कदम उठाएंगे तो वेस्टर्न डेमोक्रेसीज उनका मुकाबला करने के लिए तैयार नहीं होंगी।

भारत को सुनिश्चित करनी होगी अपनी सुरक्षा
उन्होंने कहा, भारत की दिशा बिलकुल स्पष्ट है। अगर कुछ होता है तो हमारे यहां क्या होगा? एक पाकिस्तान के साथ या फिर चीन के साथ संघर्ष हो सकता है। तो ऐसे में किसी भी संघर्ष में भारत अकेला है और उसे अपनी सुरक्षा स्वयं सुनिश्चित करनी होगी। सिन्हा ने कहा कि भारत को चीन को लेकर जरूर चिता करनी चाहिए और पूरे इंतजाम करने चाहिए।

हमें नहीं रहना चाहिए गफलत में
उन्होंने कहा, हमें किसी गफलत में नहीं रहना चाहिए। उल्लेखनीय है कि भारत और चीन के बीच अरुणाचल प्रदेश तथा लद्दाख में सीमा विवाद बहुत पुराना है। वर्ष 2020 के जून महीने में लद्दाख की गलवान घाटी में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर दोनों देशों के सैनिकों के बीच ंिहसक झड़प हुई थी और दोनों देशों के बीच फिलहाल गतिरोध को दूर करने के लिए सैन्य स्तरीय वार्ता जारी है।

पश्चिमी देशों ने यूक्रेन को उकसाया
पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि पश्चिमी देशों की तरफ से यूक्रेन को उकसाया गया और उसे नाटो (उत्तर अटलांटिक संधि संगठन) में शामिल करने की बात कहकर वे रूस को घेरने की तैयारी कर रहे थे तथा इन्हीं सबसे चिंतित होकर रूस ने यूक्रेन पर आक्रमण कर दिया। उन्होंने कहा, लेकिन मेरा यह कहना है कि रूस की चिंता सही थी लेकिन तरीका गलत हो गया। उनको (रूस) कोशिश करनी चाहिए थी कि बातचीत से रास्ता निकले।

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