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टिकैत का बड़ा बयान: बोले- इन सभी मांगों के पूरा होने तक सीमाओं में डंटे रहेंगे किसान, आगे का भी बताया प्लान

नई दिल्ली। केन्द्र सरकार द्वारा बनाए गए कृषि कानूनों (agricultural laws) के खिलाफ किसानों के आंदोलन (farmers’ movement) का आज एक साल पूरा हो गया है। इस बीच संयुक्त किसान मोर्चा के अध्यक्ष (President of United Kisan Morcha) राकेश टिकैत (Rakesh Tikait) ने बड़ा बयान दिया है। टिकैत ने कहा कि जब तक न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) सहित किसानों की सभी मांगें केन्द्र सरकार नहीं मान लेती तब किसान सीमाओं पर डंटे रहेंगे। उन्होंने कहा कि सरकार ने तीनों ‘काले कानूनों’ को वापस लेने की घोषणा भले ही कर दी है, लेकिन न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) समेत कई अन्य मुद्दे पर सरकार ने मौन धारण किया हुआ है।

टिकैत ने आगे कहा कि सरकार इस मुद्दों पर किसानों से कोई बात नहीं कर रही है। जब तक किसानों की सभी मांगें पूरी नहीं होतीं तब तक किसान दिल्ली की सीमाओं (Delhi borders) से हटने वाले नहीं हैं। 27 नवंबर को संयुक्त किसान मोर्चा आंदोलन के आगे की रूपरेखा तय करेगा। 29 नवंबर को दिल्ली के खुले हुए रास्तों पर बड़ी ट्रैक्टर रैली (tractor rally) निकाली जाएगी। अब किसान शांत बैठने वाले नहीं हैं क्योंकि सरकार ने तीनों कृषि कानून वापस लेने का ऐलान भले कर दिया हो, लेकिन किसान शुरू से एमएसपी पर गारंटी कानून  (Guarantee Law on MSP) मांग रहे थे, जिसको लेकर सरकार ने अभी तक कोई जवाब नहीं दिया है, इसलिए किसानों का आंदोलन अभी खत्म नहीं होगा।

वहीं टिकैत ने केंद्र सरकार पर दवाब बनाने के लिए किसानों ने आंदोलन को पहले से ज्यादा ताकतवर बनाने के संकेत दे दिए हैं। मसलन किसान आंदोलन की पहली वर्षगांठ मनाने के लिए 26 नवंबर को दिल्ली-एनसीआर (Delhi-NCR) के चार बॉर्डर यानी शाहजहांपुर, टिकरी, सिंघु और गाजीपुर पर बड़ी सभाएं आयोजित होंगी। शंभू बॉर्डर से लेकर सिंघू बॉर्डर तक बड़ा मार्च निकाला जाएगा। प्रदर्शन के अगले चरण में 29 नवंबर से संसद का शीतकालीन सत्र शुरू होने पर दिल्ली में ट्रैक्टर मार्च निकालेंगे।

किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि हम दिल्ली जाएंगे और अगर किसानों को रोकने की कोशिश की गई तो वहीं धरने पर बैठेंगे। टिकैत ने कहा किसानों की आधी जीत हुई है, आधी जीत होना अभी बाकी है जिसके लिए उनका संघर्ष जारी रहेगा। उन्होंने कहा कि एमएसपी कानून किसानों के लिए बेहद जरूरी है और जब तक यह कानून सरकार लेकर आती नहीं तब तक किसान दिल्ली की सीमाओं पर डटे रहेंगे।

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