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किसानों को तोहफा: गेहूं का एमएसपी 40 रु. बढ़ाकर 2,015 रु. प्रति क्विंटल किया

नयी दिल्ली। केन्द्र की नरेन्द्र मोदी सरकार (Narendra Modi government) ने आज किसानों (farmers) के हित में बड़ा फैसला किया है। केन्द्रीय कैबिनेट (central cabinet) बैठक में चालू फसल वर्ष 2021-22 के लिए गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) 40 रुपये बढ़ाकर 2,015 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया। इसके अलावा सरसों का MSP400 रुपये बढ़ाकर 5,050 रुपये प्रति क्विंटल किया गया है। सरकार की इस पहल का उद्देश्य इन फसलों की खेती के रकबे के साथ-साथ किसानों की आय को बढ़ाना है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (CCAE) की बैठक में इस संबंध में निर्णय लिया गया।

खरीफ (गर्मी) फसलों की कटाई के तुरंत बाद अक्टूबर से रबी (र्सिदयों) फसलों की बुवाई शुरू हो जाती है। गेहूं और सरसों रबी की प्रमुख फसलें हैं। एक सरकारी विज्ञप्ति के अनुसार, सीसीईए ने फसल वर्ष 2021-22 (जुलाई-जून) और 2022-23 विपणन सत्रों के लिए छह रबी फसलों (six rabi crops) के लिए एमएसपी में वृद्धि को मंजूरी दी है। इस फसल वर्ष के लिए गेहूं का एमएसपी 40 रुपये बढ़ाकर 2,015 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया गया है, जो फसल वर्ष 2020-21 में 1,975 रुपये प्रति क्विंटल था। विज्ञप्ति में कहा गया है कि गेहूं की उत्पादन लागत 1,008 रुपये प्रति क्विंटल होने का अनुमान लगाया गया है।

अधिकारी के अनुसार, सरकार ने रबी विपणन सत्र 2021-22 के दौरान 4.3 करोड़ टन से अधिक की रिकॉर्ड गेहूं की खरीद की है। जौ का समर्थन मूल्य 2021-22 के फसल वर्ष के लिए 35 रुपये बढ़ाकर 1,635 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया गया है, जो पिछले वर्ष 1,600 रुपये प्रति क्विंटल था। दलहनों में, चने का एमएसपी पहले के 5,100 रुपये से 130 रुपये बढ़ाकर 5,230 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया गया है, जबकि मसूर (मसूर) के लिए MSP पहले के 5,100 रुपये से 400 रुपये बढ़ाकर 5,500 रुपये प्रति क्विंटल किया गया है।

तिलहन के मामले में सरकार ने फसल वर्ष 2021-22 के लिए सरसों के MSP को 400 रुपये बढ़ाकर 5,050 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया है, जो पिछले वर्ष में 4,650 रुपये प्रति क्विंटल था। सूरजमुखी का एमएसपी पहले के 5,327 रुपये प्रति क्विंटल से 114 रुपये बढ़ाकर 5,441 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया गया है। विज्ञप्ति में कहा गया है, सरकार ने रबी विपणन सत्र 2022-23 के लिए रबी फसलों के एमएसपी में वृद्धि की है ताकि उत्पादकों को उनकी उपज के लिए लाभकारी मूल्य सुनिश्चित किया जा सके।

सरकार ने कहा कि विपणन सत्र 2022-23 के लिए रबी फसलों के एमएसपी में वृद्धि, केंद्रीय बजट 2018-19 की घोषणाओं के अनुरूप है, जिसमें उत्पादन की औसत लागत के कम से कम 1.5 गुना के स्तर पर एमएसपी तय करने की घोषणा की गई थी। इसका उद्देश्श्य किसानों के लिए उचित लाभ सुनश्चित करना है। बयान में कहा गया है, किसानों को उनकी उत्पादन लागत पर अपेक्षित लाभ गेहूं और सरसों (प्रत्येक में 100 प्रतिशत) के मामले में सबसे अधिक होने का अनुमान है, इसके बाद मसूर (79 प्रतिशत), चना (74 प्रतिशत), जौ (60 प्रतिशत) और सूरजमुखी पर (50 प्रतिशत) का स्थान आता है।

सरकार ने यह भी कहा कि पिछले कुछ वर्षों में तिलहन, दलहन और मोटे अनाज के पक्ष में एमएसपी को फिर से दुरुस्त करने के लिए ठोस प्रयास किए गए ताकि किसानों को इन फसलों के लिए खेती का रकबा बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित किया जा सके और साथ ही तथा मांग एवं आपूर्ति के असंतुलन को ठीक करने के लिए सर्वोत्तम तकनीकों और कृषि पद्धतियों को अपनाया जा सके।

इसके अतिरिक्त सरकार द्वारा हाल में घोषित खाद्य तेलों पर राष्ट्रीय मिशन-तेल पाम (NMEO-OP) – जैसी एक केंद्रीय योजना से खाद्य तेलों का घरेलू उत्पादन बढ़ाने और आयात पर निर्भरता को कम करने में मदद मिलेगी। कुल 11,040 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ एनएमईओ-ओपी योजना न केवल खेती के रकबे के विस्तार और उत्पादकता को बढ़ाने में सहायता करेगी, बल्कि किसानों को उनकी आय और अतिरिक्त रोजगार के सृजन से भी लाभान्वित करेगी।

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