विराट पर वर्कलोड का दबाव: टी-20 के बाद अब वनडे की कप्तानी पर बढ़ा खतरा
नई दिल्ली। ठीक एक हीने बाद 17 अक्टूबर से आईसीसी टी-20 वर्ल्डकप (ICC T20 World Cup) खेला जाना है, इससे पहले ही भारतीय कप्तान विराट कोहली (Indian captain Virat Kohli) ने इस वर्ल्ड कप के बाद इस फार्मेट से कप्तानी छोड़ने का ऐलान कर दिया है। उन्होंने यह फैसला बढ़ते वर्कलोड (workload) के कारण लिया है, जैसा की उन्होंने कहा है। लेकिन अब कयास लग रहे हैं कि विराट को वनडे (ODI) में इन सभी चीजों का सामना करना पड़ सकता है। इसी दबाव के चलते वह अब वनडे की भी कप्तान छोड़ सकते हैं।
विराट कोहली का अगले महीने वर्ल्ड कप के बाद भारत की T-20 कप्तानी छोड़ने का फैसला निश्चित तौर पर बल्ले से लय हासिल करने से जुड़ा है, लेकिन इससे संकेत मिलते हैं कि वनडे ढांचे में भी उन्हें इसी तरह की चीजों का सामना करना पड़ सकता है। कोहली ने कहा है कि वह अन्य दो प्रारूपों में कप्तान बने रहेंगे, लेकिन कोई भी स्पष्ट तौर पर यह नहीं कह सकता कि वह स्वदेश में 2023 में होने वाले वर्ल्ड कप (world cup) में भारत की 50 ओवरों की टीम के कप्तान होंगे।
विराट ने नवंबर 2019 के बाद से एक भी सेंचुरी नहीं ठोकी है और ऐसी बातें होने लगी हैं कि उनकी कप्तानी का असर अब उनकी बल्लेबाजी पर पड़ने लगा है। इन्हीं कारणों को देख अब ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है कि 2023 में भारत में होने वाले वर्ल्ड से पहले वह कप्तानी छोड़ सकते हैं। काम के बोझ का प्रबंधन टी20 कप्तानी छोड़ने के लिए बिल्कुल स्वीकार्य कारण है, लेकिन अगर 2023 तक भारत के कार्यक्रम को देखा जाए तो विश्व कप के अलावा टीम को लगभग 20 द्विपक्षीय टी20 मुकाबले खेलने हैं, जिनमें कोहली कप्तान नहीं होंगे।
BCCI के एक सूत्र ने बताया,विराट को पता है कि अगर टीम यूएई में टी20 विश्व कप में अच्छा प्रदर्शन नहीं करती है तो उन्हें सीमित ओवरों की कप्तान से हटाया जा सकता था। जहां तक सीमित ओवरों की कप्तानी का सवाल है तो उन्होंने हटकर अच्छा किया है। उन्होंने कहा, न्होंने अपने ऊपर से थोड़ा दबाव कम किया है क्योंकि ऐसा लग रहा है कि वह अपनी शर्तों पर यह काम कर रहे थे। अगर टी20 में प्रदर्शन में गिरावट आती है तो शायद 50 ओवर में प्रारूप में ऐसा नहीं हो।
कोहली को पिछले कुछ समय से ड्रेसिंग रूप में पूरा सपोर्ट नहीं मिला है। उनको करीब से देखने वालों का मानना है कि उनकी वर्किंग स्टाइल में लचीलापन नहीं है। साउथम्पटन में वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप फाइनल (world test championship final) में दो स्पिनरों के साथ उतरना हो या 2019 वर्ल्ड कप से पहले चौथे स्थान पर किसी खिलाड़ी को स्थापित नहीं होने देना, उनके अंदर लचीलेपन की कमी देखने को मिलती है। भारत ने इंग्लैंड में टेस्ट सीरीज में भले ही 2-1 की बढ़त बनाई हो, लेकिन दुनिया के नंबर एक आफ स्पिनर रविचंद्रन अश्विन को नहीं खिलाने के फैसले पर सवाल उठते हैं।