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पेगासस जासूसी मामले में सुप्रीम कोर्ट का फैसला: किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं जासूसी, गठित की एक्सपर्ट कमेटी

नई दिल्ली। पेगासस जासूसी मामले (Pegasus spy case) में स्वतंत्र जांच (independent investigation) की मांग वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme court) ने आज अपना अहम फैसला सुना दिया है। इसी के साथ ही शीर्ष अदालत ने तीन सदस्यीय विशेषज्ञ कमेटी (three member expert committee) का गठन भी कर दिया है। मामले पर अपना फैसला देते हुए कोर्ट ने सख्त टिप्पणी की और कहा कि लोगों की जासूसी किसी भी कीमत पर बर्दाश्त (Spying tolerated at any cost) नहीं की जाएगी। यह फैसला चीफ जस्टिस एनवी रमणा (Chief Justice NV Ramana), जस्टिस सूर्यकांत (Justice Suryakant) और जस्टिस हिमा कोहली (Justice Hima Kohli) की बेंच ने सुनाया है।

तीन सदस्यीय कमेटी में जिन लोगों को रखा गया है, उनमें सुप्रीम कोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश आरवी रवीन्द्रन, आलोक जोशी संदीप ओबराय का नाम शामिल है। इस पूरे मामले की देख रेख आरवी रवीन्द्रन करेंगे। सुप्रीम कोर्ट ने कमेटी को आरोपों की पूरी तरह से जांच करने और अदालत के समक्ष रिपोर्ट पेश करने के लिए आठ सप्ताह का समय दिया है। एक्सपर्ट कमेटी में साइबर सुरक्षा, फारेंसिक एक्सपर्ट, आईटी और तकनीकी विशेषज्ञों से जुड़े लोग होंगे।

बता दें कि इससे पहले चीफ जस्टिस एनवी रमण, न्यायमूर्ति सूर्य कांत और न्यायमूर्ति हिमा कोहली की पीठ ने 13 सितंबर को मामले पर अपना फैसला सुरक्षित रखते हुए कहा था कि वह केवल यह जानना चाहती है कि क्या केंद्र ने नागरिकों की कथित जासूसी (alleged spying) के लिए अवैध तरीके से पेगासस सॉफ्टवेयर का उपयोग किया या नहीं? पीठ ने मौखिक टिप्पणी की थी कि वह मामले की जांच के लिए तकनीकी विशेषज्ञ समिति का गठन करेगी।





सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने आज कहा पेगासस मामले पर केंद्र सरकार द्वारा कोई विशेष खंडन नहीं किया गया, इस प्रकार हमारे पास याचिकाकर्ता की दलीलों को प्रथम दृष्टया स्वीकार करने के अलावा कोई विकल्प नहीं है, हम एक विशेषज्ञ समिति नियुक्त करते हैं जिसका कार्य सर्वोच्च न्यायालय द्वारा देखा जाएगा। सुप्रीम कोर्ट ने एक्सपर्ट कमेटी को आरोपों की पूरी तरह से जांच करने और अदालत के समक्ष रिपोर्ट पेश करने को कहा है।

केन्द्र सरकार का स्टैंड नहीं साफ: सुप्रीम कोर्ट
कोर्ट ने कहा कि इस मामले में केंद्र सरकार (central government) का कोई साफ स्टैंड नहीं था। कोर्ट ने कहा कि निजता के उल्लंघन की जांच होनी चहिए। बेंच ने 13 सितंबर को मामले पर अपना फैसला सुरक्षित रखते हुए कहा था कि वह केवल यह जानना चाहती है कि क्या केंद्र ने नागरिकों की कथित जासूसी के लिए अवैध तरीके से पेगासस सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल किया या नहीं? कोर्ट ने कहा कि जासूसी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और प्रहरी के रूप में प्रेस की भूमिका पर गलत प्रभाव डाल सकती है। कहा गया कि एजेंसियों द्वारा एकत्र की गई जानकारी आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में बेहद जरूरी होती हैं।

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