पर्यटन मंत्री ऊषा ठाकुर ने कहा- राष्ट्रीय तीर्थों पर लोगों को ले जाकर बताया जाए स्वतंत्रता सेनानियों के बलिदान को
इंदौर। संस्कृति और पर्यटन मंत्री ऊषा ठाकुर ने कहा है कि अंडमान निकोबार द्वीप को राष्ट्र तीर्थ घोषित किया जाना चाहिए। काला पानी की उस सेलुलर जेल में असंख्य क्रांतिकारियों ने स्वतंत्रता की प्राप्ति के लिए वो असीम यातनाएं सही हैं जिनकी कोई कल्पना नहीं कर सकता। इसलिए हर हिंदुस्तानी का ये दायित्व है कि कम से कम इस 75 वें वर्ष में उस पावन भूमि पर माथा जरूर टेंके।
इंदौर में आयोजित नगरोदय कार्यक्रम में मंत्री ऊषा ठाकुर ने कहा कि मैंने प्रधानमंत्री से अंडमान निकोबार को राष्ट्रीय तीर्थ घोषित करने की मांग की है। पिछले कार्यकाल में भी वे इसके लिए विधानसभा में अशासकीय संकल्प लेकर आईं थीं। इस बार भी वे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से निवेदन करेंगीं कि आजादी के इस 75वें अमृत महोत्सव में राष्ट्रीय तीर्थों पर यात्राएं कराकर मध्यप्रदेश एक नया कीर्तिमान बनाए। ठीक उसी तरह जैसे हमारी सरकार धार्मिक यात्राएं कराती है। राष्ट्रीय तीर्थों पर भी लोगों को ले जाकर स्वतंत्रता सेनानियों के बलिदान को बताया जाए, जिससे लोगों में राष्ट्र भक्ति की भावना जगी रहे।
राष्ट्र के प्रति कर्तव्य निर्वहन का वक्त आ गया है- मंत्री
कट्टर हिन्दूवादी नेता ऊषा ठाकुर ने महू में संविधान निमार्ता बाबा साहेब डॉ। भीमराव आंबेडकर की जन्मस्थली पर तीन दिवसीय फोटो प्रदर्शनी का शुभारंभ भी किया। उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश देश का हृदय है। यदि हृदय में राष्ट्र भक्ति हो तो पूरे देश में इसका संचार होता है।आजादी का अमृत महोत्सव हमें स्मरण कराता है कि हम सभी का राष्ट्र के प्रति जो कर्तव्य है उसका निर्वहन करने का वक्त आ गया है।
घरों में लगाएं असली हीरो की फोटो, नकली की नहीं
पर्यटन मंत्री ने सभी प्रदेशवासियों से अनुरोध किया कि वे अपने घरों में फिल्मी कलाकारों के बजाय क्रांतिकारियों के चित्र लगाकर आने वाली पीढ़ियों को देश धर्म के लिए उनकी जिम्मेदारी का आभास कराएं। अक्सर घरों में देखा जाता है कि हीरो हीरोइनों की फोटो लगीं रहती हैं। वो नकली हीरो हैं। उनकी जगह असली हीरो की फोटो लगाएं। उन्होंने कहा कि घर में जैसे चित्र रहेंगे आने वाली पीढ़ी का वैसा ही चित्त विकसित हो सकेगा। इस अमृत महोत्सव के जरिए हम सभी को जन जागरण का ध्वजवाहक बनकर स्वतंत्रता संग्राम में शामिल राष्ट्रीय वीरों की गाथा को जन-जन तक पहुंचाना है। देश के प्रति खुद को समर्पित करके ही हम राष्ट्र ऋण से उऋण हो सकेंगे।