पंजाब में संयुक्त समाज मोर्चा की एक और लिस्ट: लाल किला हिंसा के मुख्य आरोपी को सिधाना को भी मिला टिकट
अमृतसर। पंजाब विधानसभा चुनाव (punjab assembly elections) को लेकर क्षेत्रीय पार्टी ‘संयुक्त समाज मोर्चा (sanyukt samaj morcha)’ ने अपने उम्मीदवारों के नाम की एक और लिस्ट जारी की है। संयुक्त समाज मोर्चा द्वारा जारी की गई लिस्ट में 25 उम्मीदवारों (25 candidates) के नाम शामिल है। इस सूची में सबसे खास बात यह है यह है कि लाल किला हिंसा के मुख्य आरोपी (Main accused of Red Fort violence) लक्खा सिधाना (lakkha sidhana) को टिकट दिया है। लक्खा सिधाना को मौड़ मंडी विधानसभा (Maur Mandi Assembly) से चुनावी अखाड़े में उतारा जा रहा है। बता दें सिधाना इस समय फरार चल रहा है, उसके खिलाफ दंगा और सरकारी कर्मचारियों पर हमले सहित कई मामले दर्ज हैं।
दिल्ली पुलिस ने लक्खा सिधाना के खिलाफ गणतंत्र दिवस (Republic day) पर टैक्टर मार्च (tractor march) के दौरान लाल किले पर फैली हिंसा को लेकर केस दर्ज किया था। लक्खा पर हिंसा भड़काने का आरोप है। पुलिस ने 1 लाख रुपए का इनाम भी घोषित किया था। लक्खा इसके बाद फरार हो गया था। वह 2021 फरवरी में भटिंडा की रामपुर फूल विधानसभा (Rampur Phool Assembly) के तहत आने वाले गांव मेहराज में युवाओं की एक रैली को संबोधित करता नजर आया था। हालांकि, संयुक्त किसान मोर्चा जो कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन करने वाला प्रमुख संगठन था, ने उस वक्त लक्खा से खुद को दूर कर लिया था।
इसके अलावा कृषि कानून के किसान आंदोलन (farmers movement) में हिस्सा लेने वाले पंजाब के विभिन्न किसान संगठनों ने पंजाब चुनाव लड़ने के लिए अपना राजनीतिक मोर्चा शुरू किया है। बलबीर सिंह राजेवाल के नेतृत्व वाला संयुक्त समाज मोर्चा (एसएसएम) किसान नेता गुरनाम सिंह चादुनी के नेतृत्व वाली संयुक्त संघर्ष पार्टी (एसएसपी) के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ रहे हैं। पंजाब में एक ही चरण में 20 फरवरी को मतदान होगा। 10 मार्च को वोटों की गिनती होगी।
गणतंत्र दिवस हिंसा
ज्ञात हो कि पिछले साल 2021 में तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे किसानों की ट्रैक्टर रैली के दौरान कथित तौर पर पुलिसकर्मियों के साथ झड़प हो गई है। वहीं, कई प्रदर्शकारी किसी एक खास समुदाय का झण्डा लहराते हुए राष्ट्रीय राजधानी में स्थित लाल किले के परिसर में घुस गए थे। प्रदर्शनकारियों द्वारा लाल किले की प्राचीर को तोड़ने, ट्रैक्टरों से उसके फाटकों को नीचे गिराने और मंचों के ऊपर अपना धार्मिक झंडा लगाने के बाद अराजकता चरम पर पहुंच गई। जिसे लेकर सैंकड़ों प्रदर्शकरियों को हिरासत में लिया गया था।