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नेपाल का राजनीतिक संकट: पीएम ओली की अगुवाई वाली सरकार से प्रचंड ने अपने मंत्रियों से इस्तीफा देने कहा

काठमांडू। नेपाल में कम्युनिस्ट पार्टी आफ नेपाल (माओवादी सेंटर) ने प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली की अगुवाई वाली सरकार में अपने मंत्रियों से इस्तीफा देने के लिए कहा है। पार्टी प्रमुख पुष्प कमल दहल ‘प्रचंड’ ने अपने सांसदों के लिए दूसरी बार ऐसा निर्देश जारी किया है।

इससे पहले शनिवार को भी प्रचंड गुट ने अपने गुट के सभी मंत्रियों को वापस बुलाते हुए अगले 24 घंटे में रुख साफ करने को कहा था। इनमें गृहमंत्री राम बहादुर थापा, ऊर्जा मंत्री, जल संसाधन और सिंचाई मंत्री बहादुर रायामाझी, जल आपूर्ति मंत्री मणिचंद्र थापा, शहरी विकास मंत्री प्रभु शाह, खेल और युवा मामलों के मंत्री दावा लामा तमांग और श्रम मंत्री गौरीशंकर चौधरी शामिल हैं।

प्रचंड गुट को पार्टी में टूट का डर
प्रचंड गुट ने अब तक 2 बार अपने मंत्रियों को इस्तीफा देने का निर्देश जारी कर दिया है। ऐसे में मंत्रियों का रुख कहीं न कहीं पार्टी विरोधी लग रहा है। प्रचंड की पार्टी के केंद्रीय समिति के सदस्य गणेश शाह ने कहा कि ओली सरकार में हमारे मंत्रियों का इरादा इस्तीफा देने का नहीं लग रहा है। अब पार्टी उन्हें व्यक्तिगत रूप से लिखेगी। ओली ने शुक्रवार को केंद्रीय समिति की बैठक की थी, जिसमें 23 नेताओं को समिति में शामिल करने के लिए नॉमिनेट किया था। ओली कहीं न कहीं प्रचंड गुट के नेताओं को तोड़कर अपने पाले में लाना चाहते हैं।

अपने मंत्रियों पर कार्रवाई कर सकते हैं प्रचंड
पार्टी नेताओं के अनुसार, रविवार की बैठक में कैबिनेट मंत्रियों के खिलाफ कार्रवाई करने पर भी चर्चा हुई। उद्योग मंत्री लेखराज भट्टा, शहरी विकास मंत्री प्रभु साह और श्रम मंत्री गौरीशंकर चौधरी कम्युनिस्ट पार्टी आॅफ नेपाल (माओवादी सेंटर) से संबंधित सांसद हैं, जबकि जल आपूर्ति मंत्री मणि थापा और युवा मंत्री दावा लामा पार्टी के केंद्रीय नेता हैं। ऐसे में अगर वे पार्टी के खिलाफ जाते हैं तो उन्हें दल से बाहर का रास्ता दिखा दिया जाएगा।

सुप्रीम कोर्ट ने एनसीपी की मान्यता रद्द की
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली की अगुवाई वाली सीपीएन (यूएमएल) और पुष्प कमल दहल ‘प्रचंड’ की कम्युनिस्ट पार्टी आॅफ नेपाल (माओवादी सेंटर) के विलय की मान्यता को रद्द कर चुका है। दोनों ने 2018 में नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी बनाई थी।

नेपाल के चुनाव आयोग ने मंगलवार को ओली के नेतृत्व वाले सीपीएन और प्रचंड की अगुवाई वाली सीपीएन (माओवादी सेंटर) से पूछा कि अगर वे सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अपनी पार्टियों का फिर से विलय करने का फैसला करते हैं, तो वे पार्टी का नया नाम और चुनाव चिह्न लेकर आएं।

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