मध्यप्रदेश

निकाय के बाद पंचायत चुनाव पर संकट के बादल: गृह विभाग ने आयोग को दिया सुरक्षा का हवाला

भोपाल। मध्य प्रदेश में नगरीय निकाय के बाद अब पंचायत चुनाव के टलने के संकेत मिल गए हैं। राज्य सरकार ने केंद्र के निर्देश पर मध्य प्रदेश से पुलिस की 50 कंपनियां तामिलनाडु और पश्चिम बंगाल चुनाव में भेजी हैं। यह कंपनियां दोनों राज्यों में विधानसभा चुनाव पूरा होने के बाद वापस आएंगी। गृह विभाग ने इसकी जानकारी राज्य निर्वाचन आयोग को भी भेज दी है।

राज्य निर्वाचन आयोग ने हाल ही में कलेक्टरों को निर्देश भेजे थे कि वे चुनाव की तैयारी पूरी कर लें। इससे संकेत मिले थे कि आयोग जल्दी ही पंचायत चुनाव कराने के पक्ष में हैंं। इसकी वजह यह है कि आयोग के अध्यक्ष वीपी सिंह ने कहा था कि अप्रैल में परीक्षाओं के चलते चुनाव नहीं कराए जाएंगे, लेकिन नगरीय निकाय एवं पंचायत में कोई एक चुनाव जल्दी कराने की तैयारी है। इस बीच नगरीय निकाय चुनाव पर हाईकोर्ट ने रोक लगा दी। इसको लेकर सरकार सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका दायर कर चुकी है।




अब गृह मंत्रालय के निर्देश पर मप्र सरकार ने भोपाल, जबलपुर और छिंदवाड़ा से बटालियन की 38 कंपनियां पंश्चिम बंगाल और चेन्नई के लिए रवाना की हैं। जबकि ग्वालियर से रअऋ की 12 कंपनियां दोनों राज्यों में भेजी जा चुकी हैं। मप्र से 50 में से 30 कंपनियां तामिलनाडु भेजी गई हैं, क्योंकि यहां 234 विधानसभा सीट के लिए एक ही चरण में मतदान होना है। जबकि पश्चिम बंगाल में 8 चरणों में मतदान हो रहा है। पहला चरण 27 मार्च और आखिरी 29 अप्रैल को है। 2 मई को मतदान के नतीजे आने हैं। तब तक पूरे एक महीने फोर्स वहीं रहेगा। ऐसे में निकाय या पंचायत चुनाव करवाने के लिए पर्याप्त बल उपलब्ध नहीं रहेगा।

आरक्षण प्रक्रिया भी ठंडे बस्ते में
जिला पंचायतों के अध्यक्ष पदों की आरक्षण प्रक्रिया भी ठंडे बस्ते में है। आयोग ने फरवरी के दूसरे सप्ताह में सरकार को पत्र लिखकर यह प्रक्रिया 15 दिन में पूरी करने कहा था, लेकिन पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग ने अभी तक कोई कार्रवाई शुरू नहीं की है। जबकि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान पंचायतों के निर्माण कार्यों का बड़े पैमाने पर लोकार्पण कर चुके हैं।

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