हां सर कहने वालों से ज्यादा सच बोलने वालों का होता है सम्मान, सिविल सेवा अधिकारियों को नायडू ने की सीख
नयी दिल्ली। उप राष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने नेताओं और सिविल सेवा अधिकारियों के बीच कथित ‘‘सांठगांठ’’ बढ़ने पर चिंता व्यक्त की। साथ ही नौकरशाहों से सही के पक्ष में खड़े होने और शासकों को सही बात बताने की सीख दी। उप राष्ट्रपति ने यह भी कहा कि अनिर्णायक, अस्पष्ट और निर्णय को टालने वाला बनने के बजाए सिविल सेवा के प्रत्येक अधिकारी को गतिशील, इनोवेटिव और समस्या का समाधान करने वाला होना चाहिए।
अपने अनुभव साझा करते हुए उप राष्ट्रपति ने कहा कि ‘‘हां सर करने वालों को ज्यादा दिन तक सम्मान नहीं मिलता, लेकिन सच बोलने वालों का सम्मान होता है। नायडू ने कहा,‘‘ मैं आप सब को आश्वस्त कर सकता हूं कि नेता बुद्धिमान होते हैं और अच्छे सुझावों को मानते हैं, अगर वे उनके समक्ष तर्कपूर्ण और मानने योग्य तरीके से रखे जाएं। उन्होंने कहा, ऐसा इसलिए है क्योंकि कोई भी मंत्री यह नहीं चाहेगा कि वह कोई गलत निर्णय ले या गलत काम के लिए उसे दंड मिले। राजनीतिक वर्ग और सिविल सेवा अधिकारियों के बीच बढ़ती सांठगांठ को गहरी ंिचता के व्यापक विषय के तौर पर देखा जा रहा है।
नायडू ने कहा, जब आपको किसी मुद्दे को ऐसे तरीके से सामने रखने के निर्देश दिए जाते हैं जो शासकों को ठीक लगता है, तो आपको सिर्फ यह करना है कि सही बोलना है और अगर जरूरत पड़े तो उसे लिखित में दें।’’ उप राष्ट्रपति ने कहा कि अधिकारियों को अपने चरित्र पर कायम रहने और कानून के सही पक्ष में रहने की जरूरत है।
कुछ राज्यों के वित्तीय दबाव, जहां ‘‘राज्यों की कल्याणकारी जरूरतों और दीर्घकालिक विकास के बीच अंतर बढ़ रहा है’’, का जिक्र करते हुए नायडू ने कहा कि उन्हें बताया गया है कि कुछ राज्यों के राजस्व प्रशासन चलाने के लिए भी पर्याप्त नहीं हैं और संपत्ति निर्माण तथा वृद्धि की ंिचताओं की ‘‘घोर उपेक्षा’’ करते हुए मुफ्त की योजनाएं देने के लिए उधार का चलन बढ़़ रहा है।