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अफगानिस्तान पर अमेरिका ने पाकिस्तान को सुनाई खरी-खरी, भारत को मिली सराहना

वाशिंगटन। अफगानिस्तान (Afghanistan) की सत्ता में तालिबान (Taliban) के फिर काबिज होने के बाद पाकिस्तान (Pakistan) की खुशी को देख अमेरिका ने ने बड़ी नसीहत दी है। अमेरिका ने कहा कि यह बात दुनिया से छुपी नहीं है कि पाकिस्तान तालिबान का कितना बड़ा समर्थक है और उसने आतंकवादी समूह (terrorist group) का कितना साथ दिया है। वहीं पाकिस्तान से रिश्तों को लेकर अमेरिका ने कहा कि उसके रिश्ते इस बात पर निर्भर करेंगे कि आने वाले समय में तालिबान से पाकिस्तान के संबंध कैसे रहेंगे।

विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन (Foreign Minister Antony Blinken) ने साफ किया कि तालिबान के साथ पाकिस्तान का जुड़ाव एक रणनीतिक चाल है। इसलिए अमेरिका पिछले 20 सालों में पाकिस्तान की भूमिका की समीक्षा करने के बाद ही कोई फैसला लेगा। उन्होंने कहा कि अमेरिका आने वाले हफ्तों में पाकिस्तान के साथ अपने संबंधों पर विचार करेगा और सोचेगा कि अफगानिस्तान के भविष्य में अमेरिका पाकिस्तान को क्या भूमिका निभाते देखना चाहेगा।

ब्लिंकन ने अफगानिस्तान में भारत (India) की मौजूदगी की सराहना की। उन्होंने सदन में विदेशी मामलों की समिति को जवाब देते हुए कहा कि अफगानिस्तान में भारत की मौजूदगी से पाकिस्तान को नुकसान हुआ है और खतरनाक गतिविधियों पर असर पड़ा है। रिपब्लिकन कांग्रेस सदस्य मार्क ग्रीन (Republican Congressman Mark Green) ने कहा कि ISI जिस तरह से तालिबान और हक्कानी नेटवर्क (Haqqani Network) को खुलेआम समर्थन दे रहा है, ऐसे में भारत के साथ मजबूत संबंधों पर विचार करना चाहिए।





हक्कानी और पाकिस्तान आपस में मिले हुए
संसद की विदेश मामलों की समिति में कांग्रेसी सांसद बिल कीटिंग (Congress MP Bill Keating) ने कहा कि तालिबान को दोबारा से खड़ा करने में पाकिस्तान 2010 से मदद कर रहा है। उन्होंने आगे कहा कि अमेरिकी सैनिकों की मौत में जिस हक्कानी नेटवर्क का हाथ था, पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी और इसी हक्कानी नेटवर्क के बीच गठबंधन है।

पाकिस्तान की भूमिका पर नजर
ब्लिंकन ने सांसदों के सवालों का जवाब देते हुए कहा कि हम पाकिस्तान को बेहतर भूमिका निभाते हुए देखना चाहते हैं। इसलिए आने वाले दिनों में उसकी भूमिका क्या होगी यह हमारे और इस्लामाबाद के रिश्ते को तय करेगा। उन्होंने कहा कि इस समय पाकिस्तान एक रणनीतिक चाल चल रहा है। एक तरफ वह तालिबान को पाल रहा है तो दूसरी और आतंकी गतिविधियों के खिलाफ हमारे अभियानों में साथ भी दे रहा है।

सेना वापसी सही थी, वहां और दिन रहने से कुछ नहीं होता
अफगानिस्तान से जल्द सेना वापसी के सवाल पर ब्लिंकन ने कहा कि वहां पर कुछ और साल रहने से कुछ नहीं बदलने वाला था। हमने वहां पर करोड़ों निवेश किया है, जब इससे वहां की सेना और सरकार आत्मनिर्भर नहीं हुए तो आने वाले सालों में भी कुछ नहीं होता।

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