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नगरीय निकाय चुनाव को लेकर हाईकोर्ट का बड़ा फैसला, अध्यक्ष-महापौर के आरक्षण प्रक्रिया पर लगाई रोक

भोपाल/ग्वालियर। प्रदेश में नगरीय निकाय चुनाव के संबंध में हाईकोर्ट ने बड़ा फैसला दिया है। नगरीय निकायों में अध्यक्ष और महापौर के आरक्षण के लिए पिछले साल 10 दिसंबर को जारी नोटिफिकेशन के उस भाग पर रोक लगा दी है, जिसमें अजा-जजा के लिए लगातार दूसरी बार आरक्षित किया गया है। कोर्ट के आदेश से प्रदेश के दो नगर निगम मुरैना व उज्जैन के महापौर और 79 नगर पालिका व नगर परिषद के अध्यक्ष पद के लिए हुआ आरक्षण प्रभावित होगा।

कोर्ट ने स्पष्ट किया कि याचिका के लंबित होने के चलते नए सिरे से रोटेशन पद्धति को अपनाते हुए आरक्षण करने पर किसी प्रकार की कोई रोक नहीं रहेगी। इसके बाद चुनाव कार्यक्रम घोषित करने के साथ ही चुनाव कराया जा सकेगा। मामले की अगली सुनवाई अप्रैल में होगी। इस फैसले का सीधा असर प्रदेश के नगरीय निकाय चुनाव की घोषणा पर पड़ेगा।

माना जा रहा था कि 15 मार्च तक निकाय चुनाव की घोषणा होती है। लेकिन अब इस प्रकरण का निपटारा हुए बिना नगरीय निकाय के चुनाव की प्रक्रिया शुरू नहीं की जा सकती। नगरीय निकायों में महापौर और अध्यक्ष का आरक्षण एक साथ होता है। इसमें आबादी व रोटेशन दोनों को आधार बनाया जाता है।

एडवोकेट मानवर्धन सिंह तोमर की याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस शील नागू और जस्टिस आनंद पाठक की डिवीजन बेंच ने कहा कि अभी रोटेशन पद्धति की अनदेखी करते हुए अध्यक्ष पद के लिए आरक्षण किया गया है। इससे एक वर्ग का व्यक्ति लगातार दो बार चुनाव लड़ सकेगा और गैर आरक्षित वर्ग के व्यक्ति को प्रतिनिधित्व करने का अवसर नहीं मिलेगा। इसलिए इस पर अंतरिम रोक लगाई जाती है। दरअसल, हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई, जिसमें मप्र की उन नगर निगम, नगर पंचायत और नगर पालिका परिषद के अध्यक्ष के लिए हुए आरक्षण को ये कहते हुए चुनौती दी गई कि यह निकाय लगातार दूसरी बार एसटी अथवा एससी वर्ग के लिए आरक्षित किए गए हैं। इसमें उज्जैन और मुरैना नगर निगम के साथ 79 नगरपालिका व नगर परिषद शामिल हैं।

एडवोकेट अभिषेक भदौरिया ने बताया कि नियमानुसार, अध्यक्ष पद का आरक्षण रोटेशन पद्धति अपनाते हुए करना चाहिए था। याचिका में हाई कोर्ट की ग्वालियर बेंच के उस आदेश का भी हवाला दिया गया जिसमें डबरा नगर पालिका और इंदरगढ़ नगर परिषद के अध्यक्ष पद के आरक्षण पर रोक लगा दी गई है। दोनों जगह अध्यक्ष का पद एससी वर्ग के लिए लंबे समय से आरक्षित किया जा रहा है।

डबरा और इंदरगढ़ के मामले में अतिरिक्त महाधिवक्ता अंकुर मोदी ने कोर्ट को बताया कि चूंकि, कोर्ट ने केवल दो निकाय के अध्यक्ष पद के लिए किए गए आरक्षण पर ही रोक लगाई है। इसलिए शासन ने शेष स्थानों पर चुनाव की प्रक्रिया शुरू कर दी है। हालांकि उन्होंने यह भी माना कि अभी चुनाव कार्यक्रम घोषित नहीं किया गया है।

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