विदेश

नहीं था कोई विकल्प, चंद मिनटों में लिया अफगानिस्तान छोड़ने का फैसला: अशरफ गनी

नई दिल्ली। अफगानिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति (former president of Afghanistan) अशरफ गनी (Ashraf Ghani) ने कहा है कि तालिबान (Taliban) काबुल (kabul) के बेहद करीब आ गया था, जिसके कारण काबुल छोड़ने का फैसला चंद मिनटों में ही लेना पड़ा था। क्योंकि इसके अलावा हमारे पास कोई दूसरा विकल्प नहीं था। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि काबुल छोड़ने के फैसले के बारे में हमें ही नहीं पता थी। साथ ही उन्होंने शांतिपूर्ण तरीके से सत्ता हस्तांतरण (power transfer) संबंधी समझौते की बात से भी इनकार किया। गनी ने इस बात का खुलासा एक बातचीत के दौरान किया।

गनी ने आगे कहा कि 15 अगस्त (August 15) को तालिबानियों (Talibanis) ने काबुल पर अपना कब्जा जमा लिया और मेरी सरकार गिर गई, तब तक मुझे आभास नहीं था कि अफगानिस्तान में आज का दिन मेरे लिए आखिरी दिन है। दोपहर तक राष्ट्रपति भवन (President’s House) की सुरक्षा भी खत्म हो चुकी थी। उन्होंने कहा है कि अगर मैं कोई स्टैंड लेता तो वे सभी मारे जाते। वे मेरा बचाव करने में सक्षम नहीं थे। उन्होंने काबुल छोड़ने के दौरान अपने साथ अवैध रूप से करोड़ों रुपए ले जाने संबंधी आरोपों का भी खंडन किया।

बता दें कि अशरफ गनी के 15 अगस्त को अचानक और गुप्त तरीके से अफगानिस्तान छोड़कर चले जाने से अराजक हालात बन गए थे क्योंकि अमेरिका और नाटो बल अफगानिस्तान से वापसी के अंतिम चरण में थे। गनी ने कहा है कि राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार हमदुल्ला मोहिब वाकई डरे हुए थे। उन्होंने मुझे दो मिनट से अधिक का समय नहीं दिया। उन्होंने खोस्त, जलालाबाद आदि शहरों के बारे में सोचा लेकिन ये शहर तालिबान के कब्जे में आ चुके थे। लेकिन जब हमने उड़ान भरी तो यह साफ था कि हम जा रहे हैं। गनी तब से संयुक्त अरब अमीरात में हैं।





गनी से चले जाने से वार्ता पर फिर गया पानी
हालांकि, गनी के दावे पूर्व में आए अन्य नेताओं के बयानों से उलट हैं। अफगानिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति हामिद करजई ने इस महीने की शुरूआत में दिए गए एक साक्षात्कार में कहा था कि गनी के अचानक देश छोड़कर चले जाने से सरकारी वातार्कारों के तालिबान के साथ बातचीत के अवसरों पर पानी फेर दिया था।

पैसे लेकर भाग गए गनी?
अफगानिस्तान छोड़ने को लेकर गनी की बहुत आलोचना की गई। गनी पर लाखों रुपये लेकर अफगानिस्तान छोड़ने का आरोप लगा। लेकिन उन्होंने पैसे लेकर अफगानिस्तान छोड़ने से साफ मना कर दिया। गनी ने बताया है कि मेरी पहली चिंता काबुल में होने वाली लड़ाई को रोकने की थी। काबुल को बचाने के लिए मुझे ऐसा करना पड़ा। यह कोई राजनीतिक समझौता नहीं था, यह एक हिंसक तख्तापलट था।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button