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बड़ा संकट: अब अफगानिस्तान पर राज करेगा तालिबान, देश के छोड़कर भागे राष्ट्रपति गनी

काबुल। अफगानिस्तान (Afghanistan) से अमेरिकी सेना (us Army) और नाटो की वापसी के 100 दिन बाद ही तालिबान लड़ाकों (Taliban fighters) ने काबुल स्थित राष्ट्रपति भवन (Rashtrapati Bhavan in Kabul) समेत पूरे अफगानिस्तान पर अपना कब्जा जमा लिया है। तालिबान ने दावा किया है कि आरजकता रोकने के लिए वह काबुल में घुसे हैं। इधर अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी (President Ashraf Ghani) देश छोड़कर जा चुके हैं। इसके अलावा कई और सांसद भी देश छोड़ चुके हैं। वहीं तालिबान विद्रोहियों के डर से आम नागरिक अफगानिस्तान से भागकर भारत आ रहे हैं या अन्य देशों में शरण ले रहे हैं।

तालिबान द्वारा अफगानिस्तान पर अपने कब्जे की घोषणा राष्ट्रपति भवन से करने और देश को फिर से ‘इस्लामिक अमीरात आफ अफगानिस्तान’ का नाम देने की उम्मीद है। बीस साल की लंबी लड़ाई के बाद अमेरिकी सेना के अफगानिस्तान से निकलने के कुछ ही दिनों के भीतर लगभग पूरे देश पर फिर से तालिबान का कब्जा हो गया है।

तालिबान में फिर लौट सकता है क्रूर शासन
तालिबान के डर से देश के सभी नागरिक अफगान छोड़ने की फिराक में है। उनको डर है कि तालिबान उस क्रूर शासन को फिर से लागू कर सकता है जिसमें महिलाओं (women) के अधिकार खत्म हो जाएंगे। नागरिक अपने जीवन भर की बचत को निकालने के लिए नकद मशीनों के बाहर खड़े हो गए। वहीं काबुल (Kabul) में अधिक सुरक्षित माहौल के लिए देश के ग्रामीण क्षेत्रों में अपने घरों को छोड़कर आये हजारों की संख्या में आम लोग पूरे शहर में उद्यानों और खुले स्थानों में शरण लिये हुए दिखे। अफगान राष्ट्रीय सुलह परिषद के प्रमुख अब्दुल्ला अब्दुल्ला (Abdullah Abdullah, head of the Afghan National Reconciliation Council) ने इसकी पुष्टि की कि गनी देश से बाहर चले गए हैं।

संयुक्त राष्ट्र ने बुलाई आपात बैठक
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) एस्टोनिया और नॉर्वे के अनुरोध पर अफगानिस्तान की स्थिति पर आज आपात बैठक करेगी। परिषद के राजनयिकों ने रविवार को कहा कि संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस (United Nations Secretary-General Antonio Guterres) परिषद के सदस्यों को राजधानी काबुल पर तालिबान के कब्जे के बाद के ताजा हालात से अवगत कराएंगे।





अमेरिका अपने कर्मचारियों को बाहर निकाल रहा
रविवार सुबह काबुल पर तालिबान लड़ाकों की दस्तक के बाद राष्ट्रपति अशरफ गनी ने देश छोड़ दिया। वहीं देशवासी और विदेशी भी युद्धग्रस्त देश से निकलने को प्रयासरत हैं, हालांकि काबुल हवाईअड्डे से वाणिज्यिक उड़ानें बंद होने के कारण लोगों की इन कोशिशों को झटका लगा है। अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन के अनुसार, अमेरिका काबुल स्थित अपने दूतावास से शेष कर्मचारियों को व्‍यवस्थित तरीके से बाहर निकाल रहा है।

अफगानिस्तान में लगभग दो दशकों में सुरक्षा बलों को तैयार करने के लिए अमेरिका और नाटो द्वारा अरबों डॉलर खर्च किए जाने के बावजूद तालिबान ने आश्चर्यजनक रूप से एक सप्ताह में लगभग पूरे अफगानिस्तान पर कब्जा कर लिया। कुछ ही दिन पहले, एक अमेरिकी सैन्य आकलन ने अनुमान लगाया था कि राजधानी के तालिबान के दबाव में आने में एक महीना लगेगा।

काबुल का तालिबान के नियंत्रण में जाना अमेरिका के सबसे लंबे युद्ध के अंतिम अध्याय का प्रतीक है, जो 11 सितंबर, 2001 को अलकायदा प्रमुख ओसामा बिन लादेन के षड्यंत्र वाले आतंकवादी हमलों के बाद शुरू हुआ था। ओसामा को तब तालिबान सरकार द्वारा आश्रय दिया गया था। एक अमेरिकी नेतृत्व वाले आक्रमण ने तालिबान को सत्ता से उखाड़ फेंका। हालांकि इराक युद्ध के चलते अमेरिका का इस युद्ध से ध्यान भंग हो गया।

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