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बड़ी राहत: काबुल से 168 लोगों को एयरलिफ्ट कर उड़ा सी-17, हिंडन एयरबेस पर करेगा लैंडिंग

नई दिल्ली। अफगानिस्तान (Afghanistan) में तालिबान का राज (secret of taliban) स्थापित होने के बाद देश की हालत दिन-प्रतिदिन बिगड़ती ही जा रही है। बिगड़े हालातों को देखते हुए लगभग सभी देश में अपने नागरिकों को वहां से लगातार निकालने की कोशिश कर रहे हैं। इस बीच ताजा जानकारी के अनुसार आज फिर भारतीय वायुसेना के सी-17 विमान Indian Air Force C-17 aircraft() ने आज सुबह अफगानिस्तान के काबुल एयरपोर्ट Kabul Airport() से 168 लोगों के साथ उड़ान भरी। यह आज गाजियाबाद में हिंडन आईएएफ बेस (Hindon IAF Base) पर उतरेगा। सरकारी सूत्रों के हवाले से ये खबर सामने आई है।

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची (Foreign Ministry spokesperson Arindam Bagchi) ने ट्विटर (Twiter)के माध्यम बताया कि सी-17 विमान काबुल से भारत के लिए रवाना हो चुका है। इस विमान में 107 भारतीय समेत 168 लोग यात्रा कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि विमान आज सुबह काबुल से चला है, जो आज ही गाजियाबाद स्थित हिंडन एयरबेस पहुंच जाएगा। गौरतलब है कि अफगानिस्तान में फंसे भारतीयों (Indians) की सुरक्षित वापसी के लिए भारत को प्रतिदिन दो उड़ानें संचालित करने की अनुमति दे दी गई है।





काबुल एयरपोर्ट से दो भारतीय विमानों को संचालिक करने मिल सकती है अनुमति
सरकारी सूत्रों ने बताया कि काबुल हवाई अड्डे से दो भारतीय विमानों को संचालित करने की अनुमति दी जाएगी। 15 अगस्त को अफगानिस्‍तान पर कब्‍जा जमाने के बाद काबुल के हामिद करजई अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे (Hamid Karzai International Airport) के संचालन और नियंत्रण की जिम्‍मेदारी अमेरिकी और उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन (नाटो) बलों को दी गई है। उनके द्वारा कुल 25 उड़ानें संचालित की जा रही हैं, क्योंकि वे वर्तमान में अपने नागरिकों, हथियारों और उपकरणों को निकालने पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं।

काबुल से दोहा पहुंचे हैं 135 भारतीय
कतर में भारतीय दूतावास ने आज बताया कि पिछले कुछ दिनों में काबुल से दोहा लाए गए 135 भारतीयों के पहले जत्थे को भारत वापस भेजा जा रहा है। कतर में भारतीय दूतावास ने ट्वीट कर बताया कि ‘135 भारतीयों का पहला जत्था जिन्हें पिछले दिनों काबुल से दोहा लाया गया था, आज रात भारत वापस भेजा जा रहा है। दूतावास के अधिकारियों ने उनकी सुरक्षित वापसी सुनिश्चित करने के लिए कांसुलर और रसद सहायता प्रदान की।

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