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पीएम-उद्धव के बीच दस मिनट की मुलाकात से बदले शिवसेना के मिजाज, विपक्षी दलों की बढ़ीं धड़कनें

ताजा खबर: मुंबई। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (Narendra Modi) और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) की कल दिल्ली में हुई मुलाकात के बाद से दिल्ली से लेकर महाराष्ट्र तक सियासत (politics) गरमा गई है। इसके मायने निकाले जा रहे हैं कि PM और CM के बीच ऐसी क्या बात हुई कि BJP पर हर समय हमला कर रही शिवसेना (Shivshena) के सुर में बदलाव आ गया। शिवसेना के मुख्य पत्र सामना में लिखी गई संपादकीय (editorial) से विपक्षी दलों (opposition parties) की धड़कनें तेज हो गई है। सामना ने लिखा है कि सत्ता में एक साथ नहीं हैं इसका मतलब यह नहीं की रिश्ता खत्म हो गया है। ऐसा CM ठाकरे ने दिल्ली स्थित महाराष्ट्र सदन में कहा। ये रिश्ता क्या वैसा है, इसका पूरा अध्ययन महाराष्ट्र BJP नेता आगे करते रहें।

आज भी रिश्ता कायम
मुख पत्र सामना में आगे लिखा गया है कि मनमुटाव (Estrangement) के कारण सभी व्यक्तिगत रिश्ते भी कमजोर नहीं पड़ जाते हैं। ऐसा नहीं होता है तथा व्यक्तिगत रिश्ते-नातों में सिर्फ सत्ता ही रिश्ते की डोर नहीं होती है। शिवसेना ने हमेशा इन रिश्तों को संभाला है। नरेंद्र मोदी-उद्धव ठाकरे की मुलाकात जिस तरह से राज्य शिष्टाचार का हिस्सा थी, उसी तरह व्यक्तिगत रिश्तों की भी थी। इसलिए दिल्ली की इस भेंट पर इसके आगे लंबे समय तक चर्चा की धूल उड़ती रहेगी। CM का दिल्ली दौरा राजनीति के लिए नहीं था, जिन्हें इस मुलाकात में राजनीति दिखती है, वे धन्य होंगे। PM-CM की मुलाकात से केंद्र से जुड़ीं महाराष्ट्र की समस्याएं हल हों!





कई मुद्दों पर हुई चर्चा
सामना ने लिखा है कि मराठा आरक्षण (Maratha Reservation) पर सकारात्मक फैसला हो यह कहने के लिए मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे मंगलवार को अचानक दिल्ली पहुंचे। अजीत पवार व अशोक चव्हाण को साथ ले गए। महाराष्ट्र के इन प्रमुख नेताओं व प्रधानमंत्री मोदी के बीच सवा घंटे तक सकारात्मक बैठक हुई। मतलब बैठक में दोनों पक्ष का मिजाज अच्छा ही था व मस्ती भरे माहौल में बैठक संपन्न हुई। इस बारे में हमारे मन में तो शंका नहीं है। सर्वोच्च न्यायालय (Supreme Court) द्वारा मराठा आरक्षण पर अनपेक्षित निर्णय दिए जाने के बाद से महाराष्ट्र में जातीय राजनीति की बाढ़ आ गई।

आंदोलन की चेतावनी
सामना ने यह भी लिखा है कि मराठा आरक्षण के मुद्दे पर संभाजी राजे (Sambhaji Raje) ने आंदोलन किया तो उस आंदोलन में हम हिस्सा लेंगे ही, BJP के कुछ नेताओं ने ऐसी घोषणा कर दी। इसलिए इस प्रकरण से राजनीति गर्म हो गई। सच्चाई ये है कि आरक्षण के संदर्भ में निर्णय लेने का अधिकार केंद्र को ही है। इसलिए आगे की लड़ाई दिल्ली में ही लड़नी होगी। यह जानकारी होने के बाद भी मराठा आरक्षण के संदर्भ में कुछ नेता मुंबई में बैठकर लोगों को उकसा रहे हैं। यह सब धंधा महाराष्ट्र में शुरू रहने के दौरान CM ठाकरे सीधे दिल्ली पहुंच गए व MODI से ही कहा कि मराठा आरक्षण की समस्या हल करें! लेकिन इससे महाराष्ट्र में कई लोग मुश्किल में पड़ गए।

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