CBSE की 12वीं की परीक्षाओं के बाद अब बोर्ड परीक्षाओं पर भी फैसला जल्द…जानिए राज्यों की क्या है तैयारी?
ताजा खबर: नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने बच्चों की सुरक्षा को प्राथमिकता देते हुए सीबीएसई (CBSE) की 12वीं की परीक्षाओं को रद्द कर दिया। इस फैसले के बाद अब राज्यों में होने वाली 12वीं की बोर्ड परीक्षाओं को लेकर अंतिम फैसला लिया जाना बाकी है। माना जा रहा है कि राज्य अपने बोर्ड की 12वीं की परीक्षा पर भी एक-दो दिन में फैसला ले सकते हैं।
मध्य प्रदेश राज्य के स्कूल शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार (Inder Singh Parmar) ने कहा कि एमपी बोर्ड की 12वीं की परीक्षा को लेकर बुधवार को फैसला लिया जाएगा। मध्य प्रदेश में एमपी बोर्ड 10वीं की परीक्षा पहले ही रद्द कर दी गई थी। जबकि 12वीं की परीक्षा की तिथि घोषित करने को लेकर जल्द ही निर्णय होने वाला था, लेकिन सीबीएसई 12वीं की परीक्षा रद्द होने के बाद अब मप्र बोर्ड भी परीक्षा को लेकर विचार करेगा।
इन राज्यों में जल्द हो सकता है फैसला
उत्तर प्रदेश: सीबीएसई और आईसीएसई के बाद अब उप्र बोर्ड 12वीं का एग्जाम भी कैंसिल हो सकता है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) जल्द ही इसका ऐलान कर सकते हैं। अगर ऐसा होता है तो पहली बार बगैर परीक्षा दिए 12वीं के 26 लाख स्टूडेंट्स पास हो जाएंगे। बोर्ड के इतिहास में ऐसा पहली बार होगा। डिप्टी सीएम दिनेश शर्मा (Dinesh Sharma) ने भी इस ओर इशारा किया है। इससे पहले यूपी बोर्ड 10वीं की परीक्षा कैंसिल कर चुका है।
राजस्थान: राज्य में दसवीं व बारहवीं क्लास के 21 लाख स्टूडेंट्स हैं। इनके एग्जाम का फैसला बुधवार को राजस्थान सरकार की कैबिनेट मीटिंग में होगा। माध्यमिक शिक्षा निदेशालय और माध्यमिक शिक्षा बोर्ड ने इस संबंध में आठ-दस प्रस्ताव सरकार को सौंप दिए हैं। राज्य में सीबीएसई भी बोर्ड एग्जाम रद्द किए जा चुके हैं। इससे राजस्थान के करीब सात सौ स्कूल्स के 65 हजार स्टूडेंट्स को राहत मिली। राजस्थान में 10वीं क्लास के करीब 11 लाख स्टूडेंट्स हैं, जबकि 12वीं क्लास के 10 लाख स्टूडेंट्स हैं।
महाराष्ट्र: राज्य की शिक्षा मंत्री वर्षा गायकवाड़ (Varsha Gaikwad) ने कहा है कि बेशक 12वीं के एग्जाम्स किसी स्टूडेंट की जिंदगी का अहम पड़ाव होते हैं। लेकिन मौजूदा हालात में हमारे बच्चों के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को प्राथमिकता देनी चाहिए। महाराष्ट्र सरकार से क्लास 12 स्टूडेंट्स के लिए नॉन-एग्जामिनेशन रूल की मांग की गई है। राज्य जल्द ही बच्चों की सुरक्षा का ख्याल रखते हुए परीक्षा पर अंतिम फैसला लेगा। हालांकि तय शेड्यूल के मुताबिक 12वीं कक्षा की परीक्षा 23 अप्रैल से और 10वीं की परीक्षा 29 अप्रैल से शुरू होनी थी। राज्य में 16 लाख से ज्यादा छात्र परीक्षा का इंतजार कर रहे हैं।
परीक्षा को लेकर राज्यों ने क्या दिए थे सुझाव?
कुछ दिन पहले 12वीं की परीक्षा को लेकर राज्यों ने अपने सुझाव केंद्र सरकार को भेजे थे। इनमें 12 राज्यों ने कहा कि कम अवधि के केवल 3-4 पेपर लिए जाएं। दिल्ली, महाराष्ट्र, झारखंड, राजस्थान समेत 8 राज्यों ने कहा कि परीक्षा से पहले सभी छात्रों को वैक्सीन दी जाए या परीक्षा रद्द की जाए। हालांकि, उइरए पर फैसला होने के बाद माना जा रहा है कि ज्यादातर राज्य अपने बोर्ड की परीक्षा में भी यही पैटर्न अपनाएंगे, क्योंकि सुझाव देते वक्त भी यही बात राज्यों ने कही थी।
दिल्ली ने सुझाव दिया था कि अगर केंद्र फाइजर के टीके (pfizer vaccines) का इंतजाम कर सके, जो 12 साल से बड़े बच्चों को लगाई जा रही है, तो फिर सभी बच्चों के टीकाकरण के बाद परीक्षा हो सकती है। महाराष्ट्र, झारखंड, केरल, मेघालय, अरुणाचल, तमिलनाडु और राजस्थान ने भी परीक्षा से पहले टीके का सुझाव दिया था।
महाराष्ट्र ने ऑनलाइन परीक्षा (online exam) की बात भी कही थी। यूपी, जम्मू-कश्मीर, गुजरात, असम, हिमाचल, चंडीगढ़, सिक्किम, पंजाब, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, बिहार और ओडिशा चाहते थे कि सिर्फ मुख्य विषयों की परीक्षा हो और अवधि कम हो। परीक्षाएं अपने ही स्कूल में हों। कर्नाटक, पुड्डुचेरी सीबीएसई पर फैसले के बाद वही पैटर्न अपनाने पर राजी थे। उत्तर प्रदेश ने कहा था कि सहमति बनती है तो वे एक माह में राज्य बोर्ड की परीक्षा आयोजित कर नतीजे भी घोषित कर देंगे। हरियाणा ने 15 से 20 जून, छत्तीसगढ़ में 1 से 5 जून के बीच घरों में आॅफलाइन परीक्षा की तैयारी की थी। लेकिन, अंतिम फैसला बाकी है।