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सेंट्रल विस्टा का काम न रोकने पर दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती

ताजा खबर: नई दिल्ली। केन्द्र सरकार (central government) की बहुआयामी परियोजना सेंट्रल विस्टा (Central Vista) का मामला अब सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) द्वारा सेंट्रल विस्टा पुनर्विकास गतिविधियों को रोकने से इनकार करने के फैसले को अब शीर्ष अदालत (Supreme Court) में चुनौती दी गई है। यह अपील अधिवक्ता प्रदीप कुमार यादव (Pradeep Kumar Yadav) ने दायर की है। याचिका में यह भी कहा गया है कि हाईकोर्ट का यह कहना भी उचित नहीं था कि सेंट्रल विस्टा परियोजना के श्रमिक परियोजना (labor project) स्थल पर रह रहे हैं जबकि सरकार और SPCPL (प्रोजेक्ट का निर्माण करने वाली कंपनी) ने अपने-अपने हलफनामे में स्पष्ट रूप से कहा था कि श्रमिक सराय काले खां के कैंप में रह रहे थे, जो परियोजना स्थल नहीं है।

सराय काले खां से मजदूरों व पर्यवेक्षकों को लाने और ले जाने के लिए आवाजाही पास जारी किया गया था। गत वर्ष 20 मार्च को केंद्र ने 20 हजार करोड़ की परियोजना के लिए लैंड यूज में बदलाव को लेकर अधिसूचना जारी की थी, जो मध्य दिल्ली में 86 एकड़ भूमि से संबंधित है जिसमें राष्ट्रपति भवन, संसद भवन, केंद्रीय सचिवालय जैसी इमारतें शामिल हैं।





ज्ञात हो कि सुप्रीम कोर्ट ने गत पांच जनवरी को लैंड यूज और पर्यावरण मानदंडों (environmental norms) के कथित उल्लंघन का आरोप लगाते हुए इस प्रोजेक्ट को चुनौती देने वाली याचिकाएं खारिज कर दी थीं। इसके बाद कोरोना की दूसरी लहर के दौरान दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर कर कोरोना (Corona) के चलते निर्माण गतिविधियों पर अस्थायी रोक लगाने की मांग की गई थी।

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