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उत्तर भारत में भारी बारिश का कहर: वाराणसी में जल प्रलय जैसे हालात, गंगा पहुंची खतरे के निशान से ऊपर

वाराणसी। मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) में तबाही मचाने के बाद अब उत्तर भारत (North India) में भारी बारिश (Havy Rain) का कहर जारी है। लगातार हो रही तेज बारिश के कारण दो प्रमुख नदियों गंगा और यमुना (Ganga and Yamuna) का जलस्तर खतरे के निशान पर पहुंच गया है। वहीं पहाड़ी राज्यों में भूस्खलन (landslide) की खबरें सामने आ रही हैं। आगरा में यमुना नदी के चंबल बेल्ट से लेकर कानपुर (Kanpur), प्रयागराज (Prayagraj), वाराणसी (Varanasi) और बलिया तक गंगा नदी (Ganges River) का जलस्तर बढ़ता जा रहा है। प्रशासन से बड़ी परेशानी से बचने के लिए अभी से ही तटवर्ती गांवों को खाली कराकर लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचा रहा है।

उत्तर प्रदेश के वाराणसी में भी गंगा खतरे के निशान को पार कर चुकी है। वाराणसी में गंगा खतरे के निशान से 10 सेंटीमीटर ऊपर बह रही है। जिसके चलते गंगा तटों के बाद नदी का पानी रिहायशी इलाकों में जा पहुंचा है। वाराणसी में गंगा किनारे और गंगा की सहायक नदी वरुणा (river varuna) के किनारे बसे हजारों घरों में बाढ़ का पानी घुसने से जलप्रलय जैसे हालात पैदा हो चुके है। जिससे बचने के लिए लोगों का पलायन भी शुरू हो चुका है। लोगों बाढ़ प्रभावित स्थानों से कहीं और या फिर बाढ़ राहत शिविरों का रुख कर रहें हैं, लेकिन वहां भी व्यवस्था नाकाफी साबित हो रही है।

कानपुर में पुलिस ने पोस्टर लगाकर दी लोगों को चेतावनी
कानपुर (Kanpur) में गंगा बैराज (Ganga Barrage) से छोड़े गए करीब 2.5 लाख क्यूसेक पानी से घाटों की सीढ़ियां जलमग्न हो गईं। पुलिस ने पोस्टर लगाकर लोगों को सिर्फ किनारे नहाने की चेतावनी दी है। वहीं घाटमपुर तहसील में यमुना में आई बाढ़ से कई गांव पानी में घिर गए हैं। लोग सुरक्षित जगहों पर पलायन करने लगे हैं। शहर के अटल घाट और सरसैया घाट पर पानी काफी ऊपर तक आ गया। कानपुर में अपस्ट्रीम में पानी का स्तर 113.12 मीटर और डाउनस्ट्रीम में 112.86 मीटर पर है। शुक्लागंज में फिलहाल जलस्तर 111.83 मीटर पर है। इसके 113 मीटर पर पहुंचते ही कानपुर नगर के लिए खतरे की घंटी चेतावनी बिंदु बज जाएगी।





वरुणा नदी के दोनों तट जलमग्न
उफनाई गंगा के चलते उसकी सहायक नदी वरुणा का भी जलस्तर काफी बढ़ गया है। जिसके चलते गंगा और वरुणा दोनों के तटों पर बसे रिहायशी इलाकों में हजारों मकान जलमग्न हो चुके हैं। जिसके चलते बाढ़ग्रस्त इलाकों से लोगों का पलायन कहीं और या फिर बाढ़ राहत शिविरों की ओर हो चला है। वाराणसी में गंगा किनारे बसे घाट के इलाके की तमाम कालोनियां हो या फिर वरुणा के किनारे दर्जनभर गरीब और बुनकर बस्ती हो, सभी बाढ़ प्रभावित हो चुके हैं।

वाराणसी के भी हालात खराब
वाराणसी के वरुणा किनारे के बुनकर और मजदूर बहुल इलाकों में सरैया, अमरपुर बटलोहिया, शैलपुत्री, सिंधवाघाट, नक्खीघाट, पुरानापुल, कोनिया, पुलकोहना और दिनदयालपुर के लाखों लोगों की हालत ज्यादा खराब है। क्योंकि यह तबका निहायत ही गरीब है और पूरी तरह से किसी भी तरह की आपदा में शासन-प्रशासन पर आश्रित हो जाता है।

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