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नशे के कारोबार पर सिद्धू ने कैप्टन को फिर घेरा: कहा- जांच रिपोर्ट खोलने में देरी हुई तो विस में लाएंगे प्रस्ताव

चंडीगढ़। पंजाब कांग्रेस (Punjab Congress) में मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिदंर सिंह (Chief Minister Captain Amarinder Singh) और प्रदेश अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू (State President Navjot Singh Sidhu) के बीच छिड़ी सियासी जंग अभी भी खत्म होने का नाम नहीं ले रही है। कैप्टन पर लगातार हमलावर सिद्धू ने एक बार फिर अपनी सरकार को घेरा है। उन्होंने इस बार नशे के कोराबार (drug trafficking) को अपना ढाल बनाया है। प्रदेश सरकार से सिद्धू ने एक के बाद एक कई सिलसिलेवार ट्वीट (Tweet) करके कई सवाल किए हैं। नवजोत सिंह सिद्धू ने पूरे मामले की SIT जांच की रिपोर्ट सार्वजनिक करने समेत कई सुझाव भी दिए हैं।

पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू ने नशे के कारोबार के मामले में कैप्टन अमरिंदर सिंह सरकार को जनता के प्रति जवाबदेही याद दिलाई है। सिद्धू का कहना है कि मजीठिया पर क्या कार्रवाई हुई है, इसका जवाब दिया जाना चाहिए और यदि नशे के कारोबार को लेकर हुई जांच की सीलबंद रिपोर्ट को खोलने में देरी हुई तो रिपोर्ट को सार्वजनिक करने के लिए पंजाब विधानसभा (Punjab Assembly) में प्रस्ताव लाया जाएगा। सिद्धू ने राज्य सरकार से मांग की है कि नशे के कारोबार को लेकर हुई जांच की सीलबंद रिपोर्ट (sealed report) को खोला जाए। उन्होंने राज्य सरकार को नसीहत देते हुए कहा है कि सरकार जनता के प्रति जवाबदेह है, इसलिए अब पूरी पारदर्शिता से कार्रवाई करनी चाहिए।





नवजोत सिंह सिद्धू ने ट्वीट कर लिखा कि फरवरी 2018 में, एडीजीपी हरप्रीत सिद्धू की अध्यक्षता में STF ने पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट (Punjab and Haryana High Court) में ‘स्टेटस रिपोर्ट’ दायर की, जिसमें ईडी द्वारा दर्ज किए गए बयानों और सबूतों की जांच की गई। बिक्रमजीत सिंह मजीठिया (Bikramjit Singh Majithia) और नशीले पदार्थों की तस्करी (drug trafficking) में अन्य के शामिल के मामले में रखे गए थे। सिद्धू ने सोमवार को लगातार तीन ट्वीट कर इस मुद्दे को फिर से उभारा। उन्होंने लिखा- 18 सूत्री एजेंडे के तहत नशे के कारोबारियों को दंडित करना कांग्रेस की प्राथमिकता है।

सिद्धू ने तीसरे Tweet में लिखा कि पंजाब के युवाओं के जीवन को प्रभावित करने वाले इस मामले पर हाईकोर्ट ने ढाई वर्षों में कोई ठोस आदेश पारित नहीं किया है। ऐसे में राज्य सरकार को चाहिए कि वह मजीठिया के खिलाफ मामले को जल्द तार्किक निष्कर्ष तक पहुंचाने के लिए सीलबंद रिपोर्टों को खोलने के लिए याचिका दायर करे, ताकि दोषियों को सजा दी जा सके।

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