जैन धर्म का मुख्य त्योहार महावीर जयंती कल
महावीर जयंती(Mahavir Jayanti) जैन धर्म का एक शुभ त्योहार है और ये भगवान महावीर के जन्म का उत्सव(Celebration of birth) मनाने के लिए मनाया जाता है। इस साल महावीर जयंती 25 अप्रैल को पड़ रही है। हिंदू पंचांग के अनुसार, चैत्र मास के 13वें दिन महावीर स्वामी का जन्म हुआ था। इनका जन्म बिहार(Bihar) के कुंडलपुर(Kundalpur) के राज परिवार में हुआ था। मान्यता है कि इन्हें जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर के रूप में माना जाता है। ये उन 24 लोगों में से हैं, जिन्होंने तपस्या से आत्मज्ञान(Austerity enlightenment) की प्राप्ति की थी। कहा जाता है कि तीर्थंकर वह लोग होते हैं जो इंद्रियों और भावनाओं(Senses and feelings) पर पूरी तरह से विजय प्राप्त कर लेते हैं। महावीर जयंती के दिन जैन लोग शोभा यात्राएं निकालते हैं, मंदिरों में झांकियां सजाते हैं,लेकिन कोरोना के कारण इस साल ये पर्व सादगी से मनाया जाएगा। आइए जानते हैं कैसे मनाई जाती है महावीर जयंती।
इस तरह मनाएं महावीर जयंती
इस दिन देशभर के जैन मंदिरों में पूजा की जाती है। साथ ही शोभा यात्राएं भी निकाली जाती हैं। इस दिन जैन समुदाय(Jain community) के लोग स्वामी महावीर के जन्म की खुशियां मनाते हैं। इन्होंने दुनिया को सत्य, अहिंसा के कई उपदेश दिए थे। इन्होंने ही जैन धर्म के पंचशील सिद्धांत(Panchsheel theory) बताए थे ,जो इस प्रकार हैं- अहिंसा, सत्य, अपरिग्रह, अचौर्य और ब्रह्मचर्य। इस शुभ दिन पर जैन संप्रदाय भगवान महावीर की मूर्ति के साथ एक जुलूस(procession) निकालते हैं, वो धार्मिक गीत गाते हैं(Sing religious songs) और इस दिन को पूरे उत्साह के साथ मनाते हैं. हालांकि, इस बार कोरोनोवायरस की दूसरी लहर के कारण महावीर जयंती का उत्सव थोड़ा अलग दिखाई दे सकता है.
भगवान महावीर के संस्कार थे
अहिंसा (अहिंसा) – वो एक दृढ़ विश्वासी थे कि लोगों को अहिंसा के मार्ग पर चलना चाहिए.
सत्य (सत्य) – वो सत्य कहने और सच्चा होने में विश्वास करते थे.
अस्तेय (गैर-चोरी) – उनका मानना था कि लोगों को ईमानदार होना चाहिए और उन्हें चीजों की चोरी नहीं करनी चाहिए.
ब्रह्मचर्य (शुद्धता) – वो कामुक सुखों में लिप्त नहीं होते थे.
अपरिग्रह (अनासक्ति) – उनका मानना था कि लोगों को गैर-भौतिक चीजों से नहीं जुड़ना चाहिए.
भगवान महावीर के पदचिन्हों पर अगर मनुष्य चलें तो जीवन में सर्वदा अच्छा ही होगा और अनायास भौतिक चीजों के अनुपालन से भी दूरी बनी रहेगी. उनके महान संस्कारों की वजह से ही आज उन्हें सारे जगत में पूजा जाता है।