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जीएसटी काउंसिल की बैठक: पेट्रोल-डीजल पर निराशा, महंगी दवाएं हुईं कर मुक्त

नई दिल्ली। जीएसटी काउंसिल (GST Council) की 45वीं बैठक आज वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) की अगुवाई में हुई, जिसके नतीजे भी सामने आ गए हैं। इससे पहले उम्मीद लगाई जा रही थी कि आज होने वाली जीएसटी काउंसिल की बैठक में पेट्रोल-डीजल (petrol-diesel) के दामों में कमी की घोषणा हो सकती है, लेकिन एक बार फिर निराशा हाथ लगी। जीएसटी काउंसिल की बैठक के बाद साफ हो गया कि फिलहाल पेट्रोल-डीजल को जीएसटी के दायरे में नहीं लाया जाएगा। लेकिन बैठ के बाद यह जरूर कहा गया है कि पेट्रोल-डीजल को जीएस में शामिल करने का विचार किया गया है। वहीं कई महंगी लाइफ सेविंग दवाओं (life saving drugs) को जीएसटी से मुक्त कर दिया गया है। इनमें दो काफी महंगी दवाएं हैं।

बैठक के बाद केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि जीएसटी काउंसिल को लगा कि यह पेट्रोल और डीजल को जीएसटी के तहत लाने का समय नहीं है। उन्होंने कहा कि अधिकतर राज्य इस विचार से सहमत हैं। मतलब ये कि पेट्रोल और डीजल की कीमतों में बड़ी कटौती के लिए अभी और लंबा इंतजार करना पड़ेगा। बैठक में फूड डिलिवरी ऐप (food delivery app) से खाना मंगाने पर अतिरिक्त टैक्स लगाने की आशंका खत्म हो गई है और काउंसिल ने ऐसा कोई फैसला नहीं लिया।

मीडिया से बात करते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बताया कि कोरोना (Corona) से जुड़ी दवाओं पर GST छूट जारी रहेगी। रेमडेसिवर (Remdesiver) पर सिर्फ 5 फीसदी जीएसटी लगेगा। कोरोना की दवा को 31 दिसंबर 2021 तक जीएसटी से छूट मिलती रहेगी। ये छूट 31 दिसंबर 2021 तक के लिए है। वहीं, जीवन-रक्षक दवाओं पर भी जीएसटी छूट का फैसला लिया गया है। वित्त मंत्री ने बताया कि जोल्गेन्स्मा और विल्टेप्सो दवाओं (Jolgensma and Viltepso drugs) पर जीएसटी छूट दी गई है। ये दोनों बेहद जरूरी दवाएं हैं जिनकी कीमत करीब 16 करोड़ रुपए है। बैठक में कैंसर संबंधी कई दवाओं पर जीएसटी 12 से घटाकर 5 फीसदी कर दिया गया है।

बता दें कि दिल्ली में पेट्रोल के 101 रुपये कीमत में लोग करीब 60 रुपये टैक्स के रूप में ही दे रहे हैं। लेकिन इस प्रस्ताव का राज्य ही विरोध कर रहे हैं क्योंकि उनके राजस्व को भी इससे भारी नुकसान पहुंचने वाला है। कोरोना संकट (corona crisis) में राजस्व को पहले ही चोट है, इसी वजह से कर्नाटक, केरल (Kerala) और महाराष्ट्र (Maharashtra) सरकार ने पहले ही इस प्रस्ताव का विरोध किया है।

महाराष्ट्र और केरल ने किया विरोध
इससे पहले राज्यों की ओर से पेट्रोल और डीजल को जीएसटी के दायरे में लाने के प्रस्ताव का विरोध किया गया। केरल के वित्त मंत्री के एन बालागोपाल (K N Balagopal) ने कहा कि अगर पेट्रोल और डीजल को जीएसटी के दायरे में लाने को लेकर कोई कदम उठाया जाता है, राज्य उसका पुरजोर विरोध करेगा। वहीं महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजीत पवार (Ajit Pawar), जो वित्त विभाग भी संभालते हैं, ने इस कदम का विरोध करते हुए कहा कि मौजूदा कर प्रणाली को उन राज्यों की वित्तीय स्वायत्तता बनाए रखने के लिए नहीं बदला जाना चाहिए जो पहले से ही कोविड -19 महामारी (covid-19 pandemic) के कारण वित्तीय संकट में हैं।

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