नज़रिया

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का “जनदर्शन” और कांग्रेस का “सोशल-दर्शन”

साल 2018 के विधानसभा चुनाव के बाद कांग्रेस की 15 महीने की सरकार के दौरान विपक्ष का नेतृत्व करने वाले शिवराज सिंह चौहान (Shivraj Singh Chauhan) अब जनदर्शन यात्रा (Jandarshan Yatra) निकाल कर बीजेपी (BJP)  को और ज्यादा मजबूत और कांग्रेस (Congress) को कमजोर करने में लगे है, तो कांग्रेस की जिम्मेदारी लेने वाले कमलनाथ (Kamalnath) और दिग्विजय (Digvijay Singh) सोशल मीडिया (Social Media) एक्टिव रहकर अपने थके हुए कार्यकर्ताओं को जमीन पर एक्टिव होने के निर्देश दे रहे हैं।

भारतीय जनता पार्टी ने चार राज्यों में मुख्यमंत्री बदल दिए हैं और कांग्रेस ने पंजाब में मुख्यमंत्री बदल दिया है। बीजेपी के मुख्यमंत्री बदलने और कांग्रेस के मुख्यमंत्री बदलने के तरीके में केवल एक बात ही समान नजर आई कि अंतिम समय तक मुख्यमंत्री बनने वाले नेता तक को नहीं पता था कि वो मुख्यमंत्री बनने वाला है। इस बदलाव के दौर के बीच कांग्रेस के नेताओं ने बिना पूछे मध्यप्रदेश में नेतृत्व के बदलाव की बात भी खूब कहीं, लेकिन हुआ अब तक कुछ भी नहीं। मध्यप्रदेश में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जनता के दर्शनों के लिए जनदर्शन यात्रा निकालकर ब्यूरोक्रेसी (Bureaucracy) की कमियों को उजागर कर उसे ठीक करने की कोशिशों में लगे हुए हैं। और जिस तरह से मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान मंच से ही लोगों को शिकायतों को सुनकर जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई कर रहे हैं उससे साफ है कि पहले कांग्रेस सरकार और फिर कोरोना के चलते जिन अधिकारियों को लग रहा था अब सीएम साहब का काम करने का तरीका बदल गया है तो शिवराज सिंह चौहान ने साफ कर दिया है कि अगर गलती की है तो फिर सजा मिलकर ही रहेगी।

मध्यप्रदेश में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की जनदर्शन यात्रा को लेकर कांग्रेस कई तरह के आरोप भले ही लगा रही हो, लेकिन कांग्रेस नेता इस बात को अच्छे से जानते है, कि जो जितना जनता के बीच जाएगा उतना मजबूत होकर वापस आएगा। कांग्रेस सरकार के दौर में अगर कमलनाथ वल्लभ भवन की पांचवीं मंजिल से उतरकर जनता का हाल जानने के लिए निकल जाते तो जनता तो छोड़िए उन्हें खुद अपने परेशान कांग्रेसी कार्यकर्ताओं की हालात पता चल जाती कि वो अपनी सरकार मैं वो कैसा महसूस कर रहा है। नाथ तो यह तक नहीं समझ सके कि प्रदेश में उनकी सरकार बनने की पीछे दिग्विजय सिंह की राज्यव्यापी चुनावी यात्राओं तथा ज्योतिरादित्य सिंधिया (Jyotiraditya Scindia) की जनता के बीच सीधी पहुंच का ही कांग्रेस को बड़ा लाभ मिला था ।   खैर, जो नहीं हुआ, उस पर बात करके क्या ही मतलब है। लेकिन शिवराज के जनदर्शन को कमजोरी समझने वाले इस बात को जरूर समझ लें कि मुख्यमंत्री शिवराज के पास जनाधार की कमी नहीं है वे भी कमलनाथ की तरह भोपाल में बैठ कर सरकार भी चला सकते हैं लेकिन बीजेपी में अगर किसी कोई काम दिया जाता है तो उसकी मॉनिटरिंग भी हर स्तर पर होती है। फिर चाहें वो विधायक, मंत्री – मुख्यमंत्री या फिर प्रधानमंत्री ही क्यों न हो।

मध्यप्रदेश की सियासत में 15 साल का वनवास झेलने के बाद 15 महीने सरकार में रहने के बाद एक बार वनवास की राह पर चल रही कांग्रेस के नेता जनदर्शन को कटाक्ष तो बड़े तीखे करते हैं। जनदर्शन यात्रा को लेकर मुख्यमंत्री के बयान और उनके द्वारा की अधिकारियों की लापरवाही, रिश्वतखोरी की शिकायतों पर लगातार कार्रवाई कर रहे हैं, लेकिन कांग्रेस जनदर्शन छोड़कर सोशल दर्शन करने में लगी हुई है। और यही सोशल दर्शन कांग्रेस को जनता के दर्शनों से दूर कर रहा है। मध्यप्रदेश में जल्द ही उपचुनाव होने है। इन चुनावों को लेकर बीजेपी जहां बूथ मैनेजमेंट (Booth level management) करने परेशानियों को दूर करने में लगी हुई है। लेकिन कांग्रेस को अभी भी लग रहा है कि जनता पिछली बार की तरह इस बार फिर मौका दे सकती है।

पंजाब में कांग्रेस नेतृत्व (Congress Leadership in Punjab) ने जिस तरह से पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी (Rajiv Gandhi) के साथी कैप्टन अमरिन्दर सिंह (Captain Amrinder Singh) को हटाया उससे साफ हो गया कि पार्टी किसी बाहरी दिमाग के आधार पर काम कर रही है क्योंकि अगर कैप्टन अमरिन्दर सिंह के कारण पंजाब में कांग्रेस को नुकसान हो रहा था तो ये नुकसान चुनाव से पांच महीने पहले और कैप्टन की साढ़े नौ साल मुख्यमंत्री बने रहने के बाद ही क्यों आया ? खबर ये भी है कि कभी कैप्टन के लिए काम करने वाले चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर (Prashant Kishor) जिनकी अब नजदीकी गांधी परिवार से कुछ ज्यादा ही हो रही है उनकी ही सलाह पर पंजाब ने पार्टी ने फेरबदल किया है। हालांकि इस बात का मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) की सियासत से कोई लेना देना नहीं है कि लेकिन बीजेपी और कांग्रेस ने अब तक पांच राज्यों के मुख्यमंत्रियों को बदल दिया है इसलिए मध्यप्रदेश में विपक्ष को बदलाव की गुंजाइश नजर आ रही है, इसलिए कांग्रेस नेता सड़क से दूर सोशल मीडिया पर बदलाव की बात करने में लगे हुए है तो मामा यानि शिवराज सिंह जनदर्शन यात्रा निकालकर कमजोर कांग्रेस को खत्म करने में लगे हैं। लेकिन कांग्रेस जनदर्शन छोड़ सोशल मीडिया पर जनता को अपने दर्शन देने में लगे हुए हैं।

वैभव गुप्ता

वैभव गुप्ता मध्यप्रदेश की पत्रकारिता में जाना-पहचाना नाम हैं। मूलतः ग्वालियर निवासी गुप्ता ने भोपाल को अपनी कर्मस्थली बनाया और एक दशक से अधिक समय से यहां अनेक प्रतिष्ठित संस्थानों में उल्लेखनीय सेवाएं दी हैं। वैभव गुप्ता राजनीतिक तथा सामाजिक मुद्दों पर भी नियमित रूप से लेखन कर रहे हैं।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button